इस साल प्रशासन ने मांगे थे 5908 करोड़, केंद्र ने दिए 4511 करोड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 08:09 AM

budget

पिछले कुछ वर्षों से केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ के प्रस्तावित बजट पर लगातार कैंची चलाई जा रही है।

चंडीगढ़(विजय) : पिछले कुछ वर्षों से केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ के प्रस्तावित बजट पर लगातार कैंची चलाई जा रही है। प्रशासनिक अधिकारी इस बात से अनजान बन रहे हैं कि आखिर यह हो क्यों रहा है? लेकिन अपने ही विभागों की लापरवाही की ओर किसी भी ऑफिसर का ध्यान नहीं है। फाइनांस डिपार्टमैंट द्वारा बार-बार निर्देश जारी किए जाने के बावजूद यू.टी. के लगभग सभी विभागों में लाखों रुपए का बजट बाकी है। 

 

यहां बात हो रही है जनवरी तक सभी डिपार्टमैंट की ओर से खर्च किए गए बजट की। कुछ डिपार्टमैंट को छोड़ दिया जाए तो कई ऐसे डिपार्टमैंट भी हैं जो करोड़ों रुपए अपने अकाऊंट में धरे बैठे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के सामने भी यही सवाल उठा कि आखिर चंडीगढ़ को मनमाफिक बजट क्यों दिए जाए? प्रशासन के लगभग 100 विभागों के पास इस समय 819 करोड़ रुपए का बजट बाकी है। इसमें कैपिटल और रैवेन्यू हैड दोनों शामिल हैं। यह बात खुद सरकारी आंकड़ें बोल रहे हैं। 

 

इस साल चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्र सरकार से 5908.22 करोड़ रुपए की डिमांड वित्त वर्ष 2018-19 के लिए की थी, लेकिन केंद्र ने 4511.91 करोड़ रुपए बजट ही प्रशासन की झोली में डाले। यानि सीधे तौर पर 1396.31 करोड़ रुपए प्रस्तावित बजट में से काट लिए गए। अब जबकि वित्त वर्ष खत्म होने जा रहा है ऐसे में सभी विभाग बकाया बजट को खर्च करने में लगे हुए हैं।

 

सी.टी.यू. के पास सबसे अधिक बजट :
बात करें बजट खर्च करने के मामले में सभी विभागों की परफॉरमैंस की तो यहां चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सी.टी.यू.) का नाम सबसे ऊपर आता है। सी.टी.यू. के पास लगभग 15 करोड़ रुपए जनवरी तक पड़े थे। जबकि हैल्थ डिपार्टमैंट ने भी अलॉट किए गए बजट में से 13.37 करोड़ रुपए अभी तक खर्च नहीं किए हैं। गवर्नमेंट मैडिकल कॉलेज के खाते में भी लगभग 10 करोड़ रुपए पड़े हैं। 

 

निर्देशों के बावजूद विभागों की सुस्ती :
इससे पहले पिछले साल रिवाइज बजट भेजने से पहले चंडीगढ़ के सभी विभागों की रिव्यू मीटिंग भी हुई थी। इस मीटिंग में सभी हेड ऑफ द डिपार्टमेंट्स को निर्देश दिए गए थे कि बजट खर्च करने में किसी भी तरह की ढील न बरती जाए। जितना बजट मिला है वह वित्त वर्ष खत्म होने से पहले ही खर्च कर दिया जाए। सूत्रों के अनुसार जितना बजट मौजूदा समय में विभागों के पास पड़ा है उसके आधार पर ही आगामी वित्त वर्ष के लिए प्रशासन विभागों को बजट अलॉट किए जाने की तैयारी में है। 

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