एक बार फिर इंटरनैशनल एयरपोर्ट मामले में केंद्र को मिली फटकार

Edited By Priyanka rana,Updated: 20 Feb, 2020 08:53 AM

center gets reprimanded once again for international airport case

चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट से इंटरनैशनल फ्लाइट्स न चलाने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है।

चंडीगढ़(रमेश) : चंडीगढ़ इंटरनैशनल एयरपोर्ट से इंटरनैशनल फ्लाइट्स न चलाने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है। मामले में बुधवार को चीफ जस्टिस अरुण पिल्लई की खंडपीठ ने सुनवाई की और एयरपोर्ट अथॉरिटी को जमकर फटकार लगाई। 

याची पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट पुनीत बाली ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद अभी तक एयरपोर्ट के रनवे पर कैट थ्री सिस्टम चालू नहीं हो पाया है, जिसके चलते एयरलाइंस कंपनियां इंटरनैशनल फ्लाइट्स शुरू नहीं कर रही। टाटा की कंपनी नैगोसिएशन के बाद निर्धारित राशि में ही कैट थ्री सिस्टम लगाने को मान गई थी, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी व रक्षा मंत्रालय की ओर से अड़चनें डाली जा रही हैं जिसके चलते काम पूरा नहीं हो रहा। 

20 हजार करोड़ खर्चे मगर इंटरनैशनल फ्लाइट नहीं :
पुनीत बाली ने कोर्ट को बताया कि 5 वर्ष पहले चंडीगढ़ के पुराने एयरपोर्ट को रैनोवेट करने के लिए 400 करोड़ खर्च हुआ था, जिसके बाद इंटरनैशनल एयरपोर्ट बनाने में 1400 करोड़ से अधिक का खर्च आया है और पांच वर्षों में कैट थ्री नहीं लग पाया जो बड़ी हैरानी की बात है। उन्होंने कहा कि अगर चंडीगढ़ से इंटरनैशनल फ्लाइट्स नहीं चलनी थी तो 20 हजार करोड़ बर्बाद क्यों किए गए।

अड़चनें दूर कर टाटा को क्लीयरैंस दी जाए :
इंटरनैशनल एयरपोर्ट को देखते हुए एयरपोर्ट के साथ लगते शहरों में इन्वैस्टर्स ने अरबों रुपए इन्वैस्ट किए थे जो कंगाली के दौर से गुजर रहे हैं। कोर्ट ने एयरपोर्ट अथॉरिटी व केंद्र से कैट थ्री का काम पूरा नहीं होने का कारण पूछा जिसके जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखा और कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कैट थ्री इंस्टॉल करने में आ रही अड़चनों को दूर कर टाटा को कैट थ्री का काम शुरू किए जाने की क्लीयरैंस देने को कहा है। 

एकदम सारा इन्फ्रास्ट्रक्चर हटाना मुश्किल :
केंद्र की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र द्वारा गठित की गई इंस्पैक्शन कमेटी ने यहां का दौरा कर निर्णय लिया था कि चरणबद्ध तरीके से काम शुरू किया जाए और निर्माण शुरू करने से पहले आसपास हुए निर्माणों को हटाया जाए। 

कमेटी ने कहा कि एयरफोर्स के भी कई निर्माण रनवे के आसपास हैं जिन्हें वहां से हटाना होगा। कमेटी के समक्ष एयरफोर्स ने भी यह मुद्दा उठाया है कि एकदम सारा इंफ्रास्ट्रक्चर हटाना काफी कठिन है जिसके लिए उन्हें समय चाहिए। 

एक सप्ताह में एफीडैविट दाखिल करें :
कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को 3 मार्च तक यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कैट थ्री का काम कब शुरू होगा व पेश आ रही बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता यह भी बताया जाए कि यह कब तक इंस्टॉल होगा। 

कोर्ट में अथॉरिटी की ओर से कई एफिडैविट भी पेश किए गए हैं, जिसमें बताया गया कि मार्च 2020 तक एयरपोर्ट से 60 से अधिक घरेलू उड़ानें शुरू हो जाएंगी और गो एयर ने थाईलैंड के लिए स्लॉट मांगा है। कोर्ट ने अन्य मुद्दों को लेकर जिसमें इंक्रोचमैंट भी शामिल है कोर्ट मित्र को उस पर अपनी रिपोर्ट के आधार पर दोनों पक्षों को अवगत करवाया जाए व हल निकाला जाए। कोर्ट ने उक्त विषयों को लेकर एक सप्ताह में ब्रांच में एफिडैविट दाखिल करने को कहा।

2011 के बाद वाले निर्माणों को पहले मिले मुआवजा :
एयरपोर्ट के आसपास 100 मीटर के दायरे के भीतर घर व अन्य निर्माण कर चुके वह 83 लोग भी हाईकोर्ट पहुंच गए हैं जिनके निर्माण 2011 के बाद हुए हैं व उन्हें बिना मुआवजा दिए निर्माण गिराने के कोर्ट के आदेशों के बाद नोटिस मिले हैं। 

याचिका में कहा गया है कि 2011 के बाद हुए निर्माणों को बनाने से पहले सरकार ने मंजूरी दी थी उनकी जमीन की रजिस्ट्रियां भी हुई हैं, पानी व बिजली के कनैक्शन व वोटर कार्ड भी बने हैं ऐसे में वे गैरकानूनी नहीं हो सकते। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि उन्हें भी 2011 से पहले के निर्माणों को गिराने से पहले निर्धारित किया गया मुआवजा मिलना चाहिए। 

स्टे से इन्कार, मुआवजे को लेकर नोटिस :
चीफ जस्टिस पर आधारित खंडपीठ ने याची की कोर्ट के आदेशों पर स्टे देने से इन्कार कर दिया लेकिन मुआवजे की मांग संबंधी नोटिस जारी कर पंजाब सरकार व केंद्र से जवाब मांगा है। 

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