डोनेट की गई पी.पी.ई. किट्स की क्वालिटी को लेकर छिड़ी कंट्रोवर्सी

Edited By pooja verma,Updated: 22 May, 2020 11:42 AM

donated ppe controversy over quality of kits

भाजपा ''नेता संजय टंडन द्वारा डॉक्टर्स व नर्सिज के लिए डोनेट की गई पी.पी.ई. किट्स को लेकर कंट्रोवर्सी छिड़ गई है ।

चंडीगढ़ (अर्चना सेठी ): भाजपा 'नेता संजय टंडन द्वारा डॉक्टर्स व नर्सिज के लिए डोनेट की गई पी.पी.ई. किट्स को लेकर कंट्रोवर्सी छिड़ गई है । सवा चार लाख की एक हजार पी.पी.ई. किट्स को संजय टंडन ने हाल ही में सैक्टर-16 के जी.एम.एस.एच. को डोनेट किया है। 500 किट्स उन्होंने नर्सिज-डे पर दी जबकि 500 किट कुछ दिन पहले डोनेट की थी। जी.एम.एस.एच. -16 को ये किट्स देने से पहले टंडन ने जी.एम.सी.एच.-32 को यही किट्स डोनेट करनी चाही थी लेकिन जी.एम.सी.एच. 32 ने पी.पी.ई. किट्स को 'पूअर क्वालिटी कहकर लेने से इन्कार कर दिया था। 

 

.एम.सी.एच. 32 ने अस्पताल की क्वालिटी कंट्रोल कमेटी द्वारा पी.पी.ई. किट्स की क्वालिटी देखने के लिए किए गए टैस्ट का हवाला देते हुए कहा कि पी.पी.ई.
किट्स डॉक्टर्स, नर्सिज या पैरामैडीकल स्टाफ केलिए क्वालिटी पर खरी नहीं उतरती इसलिए वह डोनेशन में भी ये नहीं ले सकते जबकि जी.एम.एस.एच. 16 के क्वालिटी प्रतिमानों पर यही किट्स बाद में फिट पाई गई।

 

फिर लो रिस्क हैल्थ वर्कर्स के लिए ही रख लेते
जी.एम.सी.एच.-32 के डॉटर्स का कहना है कि पहले तो भाजपा नेता को अच्छी वालिटी की पी.पी.ई. किट्स डोनेट करनी चाहिए थी। अगर वालिटी चैक किए बगैर डॉटर्स या नर्सिज हाई रिस्क एरिया में पी.पी.ई. किट पहनकर काम करते तो वह संक्रमित हो सकते थे। पी.पी.ई. किट के अंदर अगर पेशैंट्स की ड्रॉपलेट या लड चला जाए तो किसी भी हैल्थ वर्कर्स की हैल्थ रिस्क पर आ सकती है। 

 

उन्होंने यह भी कहा कि अगर अस्पताल को वालिटी चैक में पी.पी.ई. किट पूअर वालिटी की थी तो या उनका इस्तेमाल लो रिस्क एरिया के टैनीशियन या हैल्थ वर्कर्स के लिए नहीं किया जा सकता था? डोनेशन में दी गई चीज की वालिटी पर सवाल उठा उसे नकारने की बजाए उनका इस्तेमाल सैंपल लेने वाले हैल्थ वर्कर्स, टैनीशियन या सैनीटरी वर्कर्स के लिए किया जा सकता था। 

 

मानते हैं कि सर्जन्स, अनैस्थिसिया के डॉटर्स या आइसोलेशन वार्ड, जहां वैंटीलेटर्स और बहुत से इवीपमैंट्स चल रहे होते हैं, वहां के हैल्थ वर्कर्स पूअर वालिटी पी.पी.ई. किट नहीं पहन सकते। डॉटर्स का कहना है कि वालिटी कंट्रोल कमेटी कब बनी, उन्हें पता ही नहीं है। जो डॉटर्स अस्पताल में काम कर रहे हैं, उनसे ही प्रबंधन पूछ लेता कि या उन पी.पी.ई. किट्स का कहीं इस्तेमाल किया जा सकता है? जी.एम.सी.एच.-16 अस्पताल ने समझदारी दिखाई और किट रख ली।


 

कोरोना संकट में हम तो अस्पताल की मदद करना चाहते थे
जी.एम.एस.एच.-16 को पी.पी.ई. किट्स देने से पहले जी.एम.सी.एच.-32 को पी.पी.ई. किट्स का सैंपल भेजा था। जी.एम.सी.एच. 32 का कहना था कि ये उनके वालिटी पैरामीटर्स पर खरी नहीं उतरती। एक किट 425 रुपए की थी। एक हजार किट्स 4,25,000 रुपए में खरीदी गई थी। जिस तरह की किट्स जी.एम.सी.एच. 32 को चाहिए, उसकी कीमत 1600 रुपए प्रति किट है। 

 

हम कोरोना संकट में अस्पताल की मदद करना चाहते थे। तकनीकी चीजों की जानकारी नहीं थी कि डॉटर्स या नर्सेज के लिए कौन-सी किट बेहतर होती है। डॉटर्स नहीं तो अटैंडैंट या वार्ड वॉय तो पहन ही सकते थे इन्हें। -संजय टंडन, भाजपा नेता

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