इम्प्लाइज हाऊसिंग स्कीम को झटका, 50 कर्मचारियों ने लिया रिफंड

Edited By pooja verma,Updated: 15 Oct, 2019 11:35 AM

employees housing scheme shocked 50 employees took refund

सैल्फ  फाइनांस हाऊसिंग इम्प्लाइज स्कीम के तहत सी.एच.बी. ने यू.टी. कर्मचारियों को फ्लैट्स देने हैं।

चंडीगढ़ (राजिंद्र):सैल्फ  फाइनांस हाऊसिंग इम्प्लाइज स्कीम के तहत सी.एच.बी. ने यू.टी. कर्मचारियों को फ्लैट्स देने हैं। इस स्कीम को झटका लगा सकता है, क्योंकि कई कर्मचारियों  ने रिफंड लेना भी शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार 50 के करीब कर्मचारियों ने रिफंड ले लिया है। फ्लैट्स के रेट्स अधिक होने से यह स्कीम लटकी है, क्योंकि कर्मचारी कम रेट्स पर उन्हें फ्लैट्स देने की मांग कर रहे हैं। यह मामला कोर्ट में विचारधीन है। 


 

फ्लैट्स के रेट काफी ज्यादा 
प्रशासन ने इससे पहले बोर्ड ऑफ डायरैक्टर की मीटिंग में फ्लैट्स के रेट्स में 15 से 20 प्रतिशत रेट्स कम करने का फैसला लिया था, लेकिन बावजूद इसके फ्लैट्स के रेट्स काफी अधिक हैं। बोर्ड ने डिपार्टमैंट चार्जिस और प्रोफिट आदि को हटा दिया है, लेकिन फिर भी कर्मचारियों को फ्लैट्स महंगा लग रहा है। बोर्ड ने फ्लैट्स के रेट कम  किए थे। 

 

इसके तहत अब थ्री बी.एच.के. का जो फ्लैट दो करोड़ 8 लाख रुपए में मिलना था, वह अब 1 करोड़ 73 लाख रुपए में मिल जाएगा। इसी तरह वन बी.एच.के. फ्लैट का रेट 50 लाख रुपए और टू बी.एच.के. फ्लैट का रेट एक करोड़ 64 लाख रुपए के करीब तय किया था। इसमें भी 15 प्रतिशत राशि के करीब कटौती होगी। 

 

बोर्ड ने इस स्कीम के तहत राशि का 25 प्रतिशत के करीब कलैक्ट किया था, जो  57 करोड़ रुपए के करीब था। बोर्ड  ने सैक्टर-53 की 11.79 एकड़ जमीन पर अलग-अलग कैटेगरी के 565  फ्लैट्स बनाने हैं। इस स्कीम  के लिए कर्मचारी पिछले 10 साल से संघर्ष कर रहे थे।  फिलहाल बोर्ड ने पहले फेज में बनने वाले फ्लैट्स के लिए ही ये सब फाइनल किया हुआ है और इसके  बाद भी दूसरे फेज में बोर्ड अन्य फ्लैट्स का निर्माण करवाना है। 


 

सैक्टर-52 और 56 में बनने हैं अधिक फ्लैट्स 
सैक्टर-52 और 56 में बोर्ड ने 61.5 एकड़ जमीन पर 3066 के करीब फ्लैट्स का निर्माण करना है। मिनिस्ट्री ने बोर्ड को यह जमीन अलॉट करने की हरी झंडी दी थी, जबकि ये मामला काफी समय से मिनिस्ट्री के पास लटका था। गौरतलब है कि कर्मचारियों की इम्प्लाइज हाऊसिंग स्कीम वर्ष- 2008 में लांच हुई थी।  इसके लिए 7 हजार से अधिक कर्मचारियों ने आवेदन किया था, लेकिन इसमें वर्ष-2010 में निकाले गए ड्रॉ में कुल 3930 कर्मचारी सफल रहे थे। सफल आवेदकों ने इसके लिए पैसे भी जमा करवा दिए थे, लेकिन कई विवादों के चलते ये स्कीम लटक गई थी। वर्ष-2012 में तत्कालीन प्रशासक शिवराज पाटिल ने शहर में  इस स्कीम के लिए भूमि होने से इंकार कर दिया था। 


 

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