विभिन्न दलों से स्टूडैंट्स पार्टियों को आने लगे हैं फंड

Edited By pooja verma,Updated: 21 Aug, 2019 12:34 PM

funds have started coming from various parties to student parties

स्टूडैंट्स काऊंसिल के चुनावों के मद्देनजर पंजाब यूनिवर्सिटी में चुनावी माहौल जोरोशोर पर हैं।

चंडीगढ़ (रश्मि ): स्टूडैंट्स काऊंसिल के चुनावों के मद्देनजर पंजाब यूनिवर्सिटी में चुनावी माहौल जोरोशोर पर हैं। कई स्टूडैंट्स की पॉलीटिकल पार्टियों को राजनीतिक पार्टियों से फंड आने शुरू हो गए हैं। बता दें कि प्रत्येक चुनावों में स्टूडैंट्स पार्टियों को 25 से 30 लाख रुपए के फंड आते हैं। 

 

फंडों से ही स्टूडैंट्स को अपने साथ जोडऩे के लिए उन्हें तरह-तरह के प्रोलोभन देती है। इस बार सैंटर में बीजेपी की पार्टी है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी की ओर से ए.बी.वी.पी. को कैंपेनिंग करने के लिए ज्यादा फंड दे सकती है। ए.बी.वी.पी. भी चुनाव जीतने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने में लगी है। 

 

सरकारों का मकसद कैंपस में युवाओं के बीच अपनी पार्टी की पैंठ जमाना होता है। इसका असर विधानसभा और लोकसभा के चुनावों पर पड़ता है। इसलिए राजनीतिक दल कैंपस में ही युवाओं की सोच अपनी ओर करने की सोचते हैं। युवा अपनी सोच से परिवार को अपने साथ बांधते हैं और उन्हें किस राजनीति पाटी को देश के लिए चुनना है। वह सोच भी विकसित करते है।  

 

हर बार छात्र संगठनों को दलों से आता है फंड
नैशनल स्टूडैंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एन.एस.यू.आई.) पार्टी कांग्रेस से है। एन.एस.यू.आई. को सीधे तौर पर कांग्रेस की स्पोर्ट मिलती है। इस बार पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एन.एस.यू.आई. को फंड आने शुरू हो गए हैं। 

 

स्टूडैंट आर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया (सोई) अकालियों की पार्टी है। सोई को भी चुनाव लडऩे के लिए लाखों रुपए के फंड आते हैं, जबकि ए.बी.वी.पी. को भाजपा स्पोर्ट करती है। इसलिए अखिल भारतीय विदयार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) को भाजपा फंड भेजती है। 

 

सत्र 2013 और बाद के सालों में सोई की भी 25 लाख या इससे ज्यादा के फंड आते रहे हैं। इनसो हरियाणा की इनेलो की पार्टी है। इनसो की भी पी.यू में अच्छी पैंठ हैं। सूत्रों का कहना है कि इस पार्टी को भी चुनाव जीतने के लिए फंड आते हंै।

 

चुनावों में खर्च होते हैं लाखों
स्टूडैंट्स को क्लब से आयोजित पार्टियां में ले जाकर, कुछ स्टूडैंट्स की फीस भरकर और उनके कुछ जरूरी खर्चे उठाकर,स्टूडैंट्स के शहर से बाहर ट्रिप पर ले जाकर उनके रहने और खाने-पीने का खर्च चुनावों के दौरान यह पॅालीटिकल पार्टियां ही उठाती हैं । कुछ पार्टियां स्टूडैंट्स को जमकर लिकर (शराब) भी परोसती है। 

 

स्टूडैंट्स को घूमने-फिरने का सामान खरीदने के लिए कूपन दिए जाते हैं जबकि गर्ल्स स्टूडैंट को ब्यूटी पार्लर में पैसे खर्च करने के लिए कूपन दिए जाते हैं। स्टूडैंट्स को गिफ्ट बाटें जाते हैं। स्टूडैंट्स को अपनी पार्टी के बारे में जानकारी देने के लिए कलरफुल पैम्फलेट, पोस्टर छपवाने में। रैलियों में भाग लेने वाले स्टूडैंट्स को आर्कषक रिफ रैशमैंट दी जाती है।

 

‘चुनावों का बजट बढ़ाया जाए’
खुद को नॉन पॉलीटिकल कहने वाली पार्टियां कैम्पस  में स्टूडैंट्स चुनाव लड़ रही पुसू व एस.एफ.एस., एस.एफ.आई. हैं। पुसू के साथ कांग्रेस, एस.एफ.एस. को (कॉमरेड) की पार्टी माना जाता है। हालांकि स्टूडैंट्स इन पार्टियों पर भी किसी न किसी पार्टी से जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं । सोपू पार्टी का आसतित्व कैंपस से खत्म हो गया था। 

 

लिंगदोह की सिफारिशें सिर्फ नाम की लिंगदोह सिफारिशों के तहत एक स्टूडैंट्स यूनियन चुनावों पर करीब 5 हजार के खर्च कर सकती है। स्टूडैंट्स मांग है कि लिंगदोह सिफारिशें पुरानी है। समय के  साथ महंगाई बढ़ गई है। इसलिए चुनावों का बजट भी बढ़ाया जाना चाहिए।

 

एन.एस.यू.आई. ने फीस का निर्णय होने के काफी दिन बाद फीस बढ़ौतरी को लेकर वी.सी. ऑफिस केसामने रोष प्रदर्शन किया। इसीलिए वह वी.सी. अॅाफिस के सामने धरने पर बैठ गए हैं। स्टूडैंट्स ने वी.सी. के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एन.एस.यू.आई. के नैशनल इंचार्ज व पी.यू. एन.एस.यू.आई. के सचिव विशाल चौधरी ने कहा कि  हर वर्ष नए स्टूडैंट्स के लिए पांच फीसदी फीस बढ़ाई जाएगी, जिसका हम विरोध करते हैं। 

 

स्टूडैंट्स ने मांग की कि यह फैसला वापस लिया जाना चाहिए। पूर्व स्टेट प्रैजीडैंट्स अक्षय शर्मा, प्रगट सिंह बरार, अंकित नैन और गुरप्रीत मोनु गुज्जर भूख हड़ताल पर बैठ गए। डी.एस.डब्ल्यू. प्रो. एम्युनल नाहर ने मौके पर आकर स्टूडैंट्स से बात-चीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि वह 22 अगस्त को होने वाली सीनेट की बैठक में फीस का मुद्दा उठाएंगे।     
 

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