सजा 10 साल से कम करने की लगाई याचिका, हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदली

Edited By bhavita joshi,Updated: 10 Oct, 2018 08:48 AM

hc decides to reduce sentence to 10 years transferred to life imprisonment

सैक्टर-26 स्थित नारी निकेतन में मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़की के साथ रेप कर गर्भवती करने की बेहद घृणित घटना में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़िता के बच्चे के बॉयोलोजिकल पिता और दोषी छोटू राम की सजा के खिलाफ अपील पर सख्ती दिखाई है।

चंडीगढ़(बृजेन्द्र): सैक्टर-26 स्थित नारी निकेतन में मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़की के साथ रेप कर गर्भवती करने की बेहद घृणित घटना में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़िता के बच्चे के बॉयोलोजिकल पिता और दोषी छोटू राम की सजा के खिलाफ अपील पर सख्ती दिखाई है। सजा में नरमी देने की बजाए उसकी सजा 10 साल से बढ़ाकर उम्रकैद कर दी गई है। हाईकोर्ट ने पाया कि मेडिकली यह साबित हुआ है कि छोटू राम ही पीड़िता के बच्चे का बॉयोलोजिकल पिता था। ऐसे में उसे कठोर और उदाहरणात्मक सजा सुनाई जानी चाहिए थी। एक बलात्कारी असहाय महिला की आत्मा को अपमानित और अपवित्र करता है और एक हत्यारा मृतक के शारीरिक रूप को नष्ट करता है।

 हाईकोर्ट ने मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़की से हुई इस बर्बर घटना को लेकर कहा कि यह एक चौंकाने वाली घटना है जिसमें एक संरक्षक शिकारी बन गया और ट्रस्टी कष्टदाता में बदल गया। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने उनकी कस्टडी में रखी गई एक बच्ची के साथ अमानवीय और बर्बर कृत्य किया।  हाईकोर्ट ने पाया कि छोटू राम का जिस प्रकार का आचरण था और उसने जो अपराध किया उसे लेकर सुनाई सजा उसके अनुरूप नहीं थी। यह एक ऐसा गंभीर केस है जिसमें सजा बढ़ाया जाना जरुरी है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी स्वयं संज्ञान शक्तियों का प्रयोग करते हुए दोषी छोटू राम की सजा 10 साल से उम्रकैद कर दी। 

पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने ट्रायल कोर्ट की सजा पर संतुष्टि कैसे जताई: हाईकोर्ट 
मामले में निचली कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा की अवधि को चुनौती देते हुए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कोई अपील दायर नहीं की गई थी। हाईकोर्ट ने मामले में तत्कालीन पब्लिक प्रोसिक्यूटर को चेताते हुए हुए कहा कि यह काफी दर्द भरा है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को उचित्त पाते हुए उस पर पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने संतुष्टि जताई। हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि यू.टी. डायरैक्टर प्रोसिक्यूशन को इस फैसले की कॉपी फारवर्ड की जाए ताकि कोर्ट का दर्द और ऐसे अफसरों पर कोर्ट का गुस्सा बताया जा सके। हाईकोर्ट ने पाया कि तत्कालीन पब्लिक प्रोसिक्यूटर की राय को आगे यूू.टी. के तत्कालीन लीगल रिमैंबरेंसर ने भी समर्थन किया।


9 दोषियों को निचली कोर्ट ने सुनाई थी सजा
18 मई, 2009 को सैक्टर-26 थाने में एक टेलिफोन के जरिए सूचना आने पर मामला प्रकाश में आया था। रेप की घटना के बाद पीड़िता को सैक्टर 32 के हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। निचली कोर्ट ने मामले में दो महिलाओं समेत कुल 9 आरोपियों को अप्रैल, 2012 में 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी। दोषियों में माया रानी, कमला, भूपिंद्र, जमना कुमार, बिजेंद्र सिंह, नरेश, दविंद्र, छोटू राम व भगवानदास शामिल था। दोषियों पर रेप, सबूत मिटाने, आपराधिक साजिश रचने जैसी धाराओं में केस दर्ज हुआ था।

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