अफसरों की तैनाती 60:40 की रेशो में, दस्तावेज हैं नहीं

Edited By Priyanka rana,Updated: 23 Jul, 2019 09:36 AM

jasbir singh gill

खडूर साहिब के सांसद जसबीर सिंह गिल की ओर से यू.टी. कैडर की पोस्टों को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन में अफसरों की तैनाती और भ्रष्टाचार के भले ही संगीन आरोप संसद में लगाए गए हों

चंडीगढ़(साजन) : खडूर साहिब के सांसद जसबीर सिंह गिल की ओर से यू.टी. कैडर की पोस्टों को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन में अफसरों की तैनाती और भ्रष्टाचार के भले ही संगीन आरोप संसद में लगाए गए हों, लेकिन न तो कभी चीफ इंजीनियर और न ही चीफ आर्कीटैक्ट या उनके आफिस पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। न तो चंडीगढ़ प्रशासन और न ही होम मिनिस्ट्री के पास ऐसे कोई दस्तावेज मौजूद हैं जिससे यह स्पष्ट होता हो कि यू.टी. में अफसरों की तैनाती के मामले में 60:40 की रेशो का फार्मूला लागू किया जाएगा। 

आर.टी.आई. एक्टीविस्ट आर.के. गर्ग ने यू.टी. प्रशासन में अफसरों की तैनाती में 60 प्रतिशत अफसर पंजाब कैडर से, जबकि 40 प्रतिशत अफसर यू.टी. कैडर से तैनात करने को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन और होम मिनिस्ट्री से दस्तावेज मांगे थे। इसके जवाब में उन्हें कहा गया कि इस तरह के कोई लिखित दस्तावेज नहीं हैं। पंजाब-री-आर्गेनाइजेशन एक्ट के दौरान कुछ चीजें निर्धारित हुई थी जिनके अनुरूप अब तक काम किया जा रहा है। खुद प्रशासन के अफसर कह रहे हैं कि चंडीगढ़ में अफसरों की तैनाती उसी धारणा के अनुसार अब तक हो रही है।

किसी पर बेबुनियाद आरोप लगाना गलत : परिदा
एडवाइजर मनोज परिदा का कहना है कि फाइनैंस सैक्रेटरी पंजाब कैडर से लगाया जाता रहा है और होम सैक्रेटरी और डी.सी. हरियाणा कैडर से। बीती परंपराओं के आधार पर ही इसे आगे बढ़ाया जा रहा है, हालांकि पूर्व निर्धारित कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि यू.टी. प्रशासन में जो भी अफसर लगाए जाते हैं उनका सिलैक्शन यू.पी.एस.सी. की मार्फत होता है। जो योग्य होते हैं उनकी तैनाती होती है। 

अपने अफसरों पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर उन्होंने कहा कि किसी पर ऐसे ही आरोप लगा देना बहुत आसान है। ऐसे तो किसी का भी नाम लिया जा सकता है। अगर भ्रष्टाचार के आरोपों में तथ्य है तो इसे सामने लाया जाना चाहिए, लेकिन यूं ही किसी के ऊपर या उसके आफिस पर आक्षेप लगा देना सही परंपरा नहीं। इससे अफसर हतोत्साहित होते हैं। तमाम अफसर पूरे जी जान से शहर की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। इसको लेकर कहीं कोई विवाद नहीं है।

चंडीगढ़ के लोगों से भी पूछा जाना चाहिए, उन्हें क्या चाहिए :
सोशल एक्टीविस्ट व आर.टी.आई. कार्यकर्ता आर.के. गर्ग ने कहा कि सांसद ने जिस तरह के आरोप लगाए हैं वह बिलकुल निराधार हैं। आज तक न तो कभी चीफ इंजीनियर या न ही चीफ आर्कीटैक्ट या उनके आफिस के स्टाफ पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उनके अनुसार पंजाब री-आर्गेनाइजेशन एक्ट को लेकर प्रशासन की वैबसाइट पर भी कुछ मौजूद नहीं है, जिससे यह पता लग सके कि 60:40 की रेशो का फार्मूला तय हुआ था। 

जब दोनों राज्यों का बंटवारा हुआ था तो तब परिस्थितियां अलग थी और आज बिलकुल अलग हैं। केवल पंजाब और हरियाणा की ही अब नहीं सुनी जाएगी बल्कि चंडीगढ़ की आबादी इस वक्त 15 लाख से ऊपर पार कर गई है और यहां पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, यूपी, बिहार, राजस्थान, पश्चिमी बंगाल सहित दक्षिण के राज्यों के लोग भी रहते हैं। अब चंडीगढ़ के लोगों से भी पूछा जाना चाहिए कि वह क्या चाहते हैं। 

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