पीजीआई में 26 साल के ब्रेन डेड हैप्पी सिंह की किडनी और कार्निया डोनेट

Edited By ashwani,Updated: 04 May, 2021 11:21 PM

kidney and cornea donate

4 लोगों की मिली नई जिंदगी

 चंडीगढ़ (पाल) : पी.जी.आई. में 26 साल के हैप्पी सिंह ने जाते जाते इस दुनिया से चार लोगों को एक नई जिंदगी का तोहफा दिया है। रोपड़ नूरपुर का रहने वाला हैप्पी 28 अप्रेल को अपनी घर की छत से गिर गया था। सिर पर काफी गंभीर चोट लगी थी। परिवार एमरजेंसी में लोकल हॉस्पिटल लेकर गई। लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हो पा रहा तह जिसे देखते हुए उसी दिन परिवार उसे पीजीआई ले आया। लेकिन यंहा इलाज मिलने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। 1 मई को डॉक्टर्स ने उसे सभी प्रोटोकॉल के तहत ब्रेन डेड डिक्लेयर कर दिया।  पिता गुरमीत सिंह ने इस मुश्किल वक्त में भी बेटे के ऑर्गन डोनेट करने का फैसला लिया। बोले कि मुश्किल था लेकिन किसी और को ऐसा दुख न हो इसलिए यह कदम उठाया। वही डायरेक्टर पीजीआई डॉ जगत राम ने कोविड में इस तरह का जज्बा वाकई काबिलेतारीफ है। उम्मीद है कि दूसरे'लोग भी इससे प्रेरित होंगे।

 


6 मरीज़ों में से 4 हुए सिलेक्ट
न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के डॉ अपिंदर प्रीत सिंह ने बताया कि कम वक्त में टीम ने बहुत अच्छा काम  किया है। डिपार्टमेंट के हेड प्रो एस.के गुप्ता के गाइडेंस में यह सारा प्रोसेस हुआ है। नेफ्रोलॉजी के हैड  एच.एस.कोहली ने बताया की परिवार के डोनेशन के फैसले के बाद हमने 6 मरीज़ों से कॉन्टैक्ट किया था। उनके टेस्ट करने के बाद हमे 4 मैचिंग रिसीपियंट मिले जिन्हे ऑर्गन लगाए गए हैं।


 कोविड में रूटीन सर्जरी करनी मुश्किल हो जाती है ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट में रिस्क ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसके बावजूद हमने पिछेल एक  साल में कई मरीज़ोंब्रेन डेड मरीज़ों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट किये हैं। रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के हैड डॉ आशीष शर्मा कहते हैं कि इंफेक्शन से मरीज़ की सेफ्टी एक बड़ी चुनौती है। डोनर और रिसीपियंट दोनों के कोविड टेस्ट जरुरी हो जाता है। हॉस्पिटल आने वाले  हर मरीज़ को हम कोविड सस्पेक्ट मान कर चलते हैं। कुछ ही स्टाफ मरीज़ के संपर्क में आता है थोड़ी से लापरवाही रिसीपियंट के लिए खतरनाक हो सकती है। पीजीआई में एक 26 साल के ब्रेन डेड हुए मरीज़ की बदौलत चार लोगों को एक नई जिंदगी मिल पाई है। डॉ शर्मा ने बताया की अब जबकि कोविड केस बहुत ज्यादा आ रहे हैं। ऐसे में रिस्क बहुत ज्यादा हो गया है। पीजीआई टीम ने एक बेहतरीन काम किया है।


दो किडनी और दो को कॉर्निया हुआ ट्रांसप्लांट
पीजीआई में जिन चार मरीज़ों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट किये गए हैं वह काफी वक्त से पीजीआई से ही इलाज करवा रहे थे। जिनमे से दो मरीज़ों को किडनी और दो मरीज़ों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया है।
 

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