पार्टियों के प्रत्याशियों के चयन पर निर्भर करेगी चंडीगढ़ सीट

Edited By Priyanka rana,Updated: 13 Mar, 2019 02:41 PM

lok sabha elections

चंडीगढ़ की एकमात्र लोकसभा सीट परंपरागत रूप से किसी एक दल की नहीं रही।

चंडीगढ़(राय) : चंडीगढ़ की एकमात्र लोकसभा सीट परंपरागत रूप से किसी एक दल की नहीं रही। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इसे कांग्रेस से लगभग 15 वर्षों बाद छीना था। इस बार परिणाम पार्टियों के प्रत्याशियों के चयन पर भी निर्भर करेगा। 

कांग्रेस मेंं इस बार 3 नेता टिकट के दावेदार हैं। पार्टी की कुछ महिला नेता इस बार किसी माहिला को यहां से उम्मीदवार बनाए जाने की मांग कर रही है और उन्होंने यहां से कोई नया चेहरा चुनाव मैदान में उतारने की मांग की है। ऐसे में नए चेहरे के लिए चुनौती भी बड़ी होगी। आम आदमी पार्टी की सक्रियता ऐसी नहीं रही है कि गुल पनाग के वोट बैंक में कोई बढ़ौतरी दिखे।

3 बार चंडीगढ़ के सांसद बने हैं पवन बंसल :
भाजपा की सांसद किरण खेर से पहले लगातार 3 बार 1999, 2004 और 2009 में पवन कुमार बंसल चंडीगढ़ से सांसद चुने गए थे। उनसे पहले बी.जे.पी. के सत्यपाल जैन ने 1996 और 1998 में भाजपा टिकट से यहां चुनाव जीता था।  

पवन कुमार बंसल जब 1991 में पहली बार सांसद बने थे तो उन्होंने जनता दल के हरमोहन धवन से यह सीट छीनी थी। 1967 के बाद से चंडीगढ़ लोकसभा की सीट पर कांग्रेस का 7 बार कब्जा रहा है। वहीं जनसंघ, जनता पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार और भारतीय जनता पार्टी ने 3 बार चंडीगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीता है। 

किरण खेर का प्रदर्शन भी अच्छा :
किरण खेर का लोकसभा में प्रदर्शन अच्छे सांसदों में गिना जा रहा है। पिछले 5 सालों में उन्होंने 38 बार संसद की डिबेट में हिस्सा लिया जबकि राष्ट्रीय औसत 63.8 का है। एक निजी बिल भी उन्होंने पेश किया। संसद में किरण खेर ने 303 सवाल पूछे। राष्ट्रीय औसत 273 के मुकाबले यह अधिक है। पिछले दिनों उन्होंने अपनी पिछले चुनाव की प्रतिद्वंदी गुल पनाग के ट्वीट के जवाब में कहा था कि संसद में उनकी उपस्थिति 84 फीसदी रही है। 

दिसम्बर 2018 तक उनकी सांसद निधि में 5 करोड़ से ज्यादा की रकम बच रही थी व 22 करोड़ 77 लाख रुपए खर्च हो चुके थे। उसके बाद के आंकड़े अभी सूची बद्ध किए जा रहे हैं। सांसद निधि से किए गए कार्यों के उद्घाटनों का उन्होंने चुनाव आचार संहिता लगने से पहले एक अभियान से भी चला दिया था। 2014 में  4 लाख 53 हजार 455 मतदाताओं ने वोट डाले थे। किरण अनुपम खेर ने 69 हजार 642 वोटों से जीत दर्ज की थी। 

2014 में हुआ था त्रिकोणीय मुकाबला :
वर्ष 2014 में चंडीगढ़ सीट पर पहली बार तिकोना मुकाबला देखने को मिला था अन्यथा इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस परंपरागत प्रतिद्वंदी रहे हैं। आम आदमी प्रत्याशी गुल पनाग ने न केवल मुकाबले को तिकोना बनाया था अपितु 1,08,674 वोटें लेकर चुनाव परिणाम पर भी गहरा असर डाला था। 

उन्होंने कांग्रेस के 3 बार के विजेता पवन बंसल से केवल 3,046 मत कम लिए थे। चंडीगढ़ में वर्ष 2014 में 4,53455 मत पड़े थे। इनमें से भाजपा के विजेता प्रत्याशी को 1,91,362 मत, कांग्रेस को 1,21, 720 व ‘आप’ को 1,08,674 मत मिले थे।19 राऊड की गणना में किरण खेर शुरू से ही बढ़त बनाने में सफल रही थी।

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