PGI में इलाज को तरसे 3 हजार मरीज, 310 सर्जरी टली

Edited By Priyanka rana,Updated: 04 Aug, 2019 11:16 AM

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शनिवार को पी.जी.आई पहुंचे हजारों मरीजों को बिना इलाज ही लौटना पड़ा। सुबह ओ.पी.डी. के बाहर मरीज इलाज के लिए तो पहुंचे

चंडीगढ़(रवि) : शनिवार को पी.जी.आई पहुंचे हजारों मरीजों को बिना इलाज ही लौटना पड़ा। सुबह ओ.पी.डी. के बाहर मरीज इलाज के लिए तो पहुंचे, लेकिन यहां आकर उन्हें पता चला कि डाक्टर्स एन.एम.सी. बिल को लेकर स्ट्राइक पर हैं। रोजाना ओ.पी.डी. में 10 हजार तक मरीजों का आंकड़ा रहता है, लेकिन शनिवार को आंकड़ा 7 हजार के आसपास रहता है। स्ट्राइक के कारण 3 हजार मरीज ओ.पी.डी. से बिना इलाज लौटे। 

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पिछले 2 माह में यह दूसरा मौका था जब पी.जी.आई. ओ.पी.डी. में मरीजों को इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ी। इससे पहले जून में रैजीडैंट डॉक्टरों ने कोलकाता में डाक्टरों के साथ हुई मारपीट को लेकर स्ट्राइक की थी। शुक्रवार को ही पी.जी.आई. ए.आर.डी.( एसोसिएशन ऑफ रैजीडैंट डॉक्टर्स) ने डायरैक्टर पी.जी.आई. को स्ट्राइक का नोटिस दे दिया था। ज्यादातर मरीज दूर-दराज से आए हुए थे, सुबह जल्दी निकलने की वजह से उन्हें स्ट्राइक का यहां आकर चला।  

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स्ट्राइक के कारण सबसे बड़ा असर पी.जी.आई. में होने वाली सर्जरी पर पड़ा। रोजाना जहां 350 के करीब मेजर व माइनर सर्जरी होती हैं, वहीं शनिवार को महज 30 सर्जरी ही हो पाई। रैजीडैंट की जगह फैकल्टी की ड्यूटी बेशक लगाई गई हो। इसके बावजूद कई सर्जरी को पोस्टपोन किया गया। वहीं, ओ.पी.डी. बंद होने से मरीज भड़क गए। उन्होंने पी.जी.आई. प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और डायरैक्टर को मौके पर बुलाने की मांग की।

एम.टी.ए. ने डायरैक्टर से कहकर शुरू करवाए टैस्ट :
कई मरीज ऐसे थे, जो सिर्फ टैस्ट के लिए ही आए थे। ओ.पी.डी. बंद होने के कारण सिक्योरिटी ने उन्हें अंदर नहीं जाना दिया। हालांकि ब्लड क्लैक्शन सैंटर खुला था। 

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एम.टी.ए. को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने डायरैक्टर को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद सुबह 8 की बजाय 8:30 बजे टैस्ट शुरू किए गए। कीमोथैरेपी, ब्लड टैस्ट, एक्स-रे किए गए। रोजाना ब्लड क्लैक्शन सैंटर में 700 से ऊपर टैस्ट होते हैं, जबकि शनिवार को 415 टैस्ट ही हो पाए। 

एमरजैंसी और ट्रॉमा सैंटर में बढ़े मरीज :
स्ट्राइकके कारण एमरजैंसी व ट्रॉमा सैंटर में मरीजों की संख्या दूसरों दिनों के मुकाबले ज्यादा रही। हालत यह थी कि एमरजैंसी से बाहर तक ट्रॉलियां लगाकर मरीजों को एडमिट किया गया। एमरजैंसी मरीजों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए एमरजैंसी में खासतौर से फैकल्टी को अप्वाइंट किया गया था। 

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आमतौर पर एमरजैंसी व ट्रॉमा सैंटर में एडमिट मरीजों का आंकड़ा 100 या 120 तक रहता है। शनिवार को मेन एमरजैंसी में ओ.पी.डी. में 118 मरीज एडमिट किए गए। जबकि आई.पी.डी. (इंटरनल पैशेंट डिपार्टंमैंट) में 15 एडमिट हुए। वहीं ए.टी.सी.(एडवांस ट्रॉमा सैंटर) की ओ.पी.डी. में 24 नए मरीज पहुंचे, जिसमें से 6 मरीज आई.पी.डी. में एडमिट किए गए।

तो एमरजैंसी सर्विस हो सकती है बंद :
पी.जी.आई. में इस वक्त 1300 जे.आर., एस.आर. हैं, जो कि स्ट्राइक पर हैं। ए.आर.डी.( एसोसिएशन ऑफ रैजीडेंट डॉक्टर्स) ने प्रैस कांफ्रैंस कर कहा कि अगर एन.एम.सी. बिल में अमैंडमैंट नहीं किया गया तो यह स्ट्राइक आगे भी जारी रहेगी। 

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प्रैजीडैंट उत्तम ठाकुर के मुताबिक एमरजैंसी सर्विस को अभी तक अनदेखा नहीं किया गया है, लेकिन उनके हक में अगर कोई फैसला नहीं आता तो वह इसे बंद कर सकते हैं। स्ट्राइक का फैसला आसान नहीं है। यह बिल डॉक्टर्स के साथ एक बड़े लैवल पर मरीजों पर भी असर डालेगा। इसी को सोचकर पूरे इंडिया में मैडीकल फिल्ड इसका प्रोटैस्ट कर रही है। 

जी.एम.सी.एच.-32 में बढ़े 500 मरीज :
जी.एम.सी.एच.-16 के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डॉ. नागपाल ने बताया कि पी.जी.आई. स्ट्राइक को देखते हुए अस्पताल में अलर्ट किया गया था। फैकल्टी को अप्वाइंट किया गया था। हालांकि शनिवार होने के कारण रजिस्ट्रेशन दूसरे दिनों की तरह 3500 के करीब ही रही।

PunjabKesariवहीं जी.एम.सी.एच. में ओ.पी.डी. पर भी स्ट्राइक का कोई असर नहीं पड़ा। जी.एम.सी.एच. में रुटीन की ओ.पी.डी. रजिस्ट्रेशन 8 हजार तक रहता है, जिसमें 500 से 600 मरीज ज्यादा रहे। 

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