पिता ने मासूम को लावारिस छोड़ा, चार साल से भटक रही बच्ची के लिए पुलिस बनी भगवान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jun, 2017 04:19 PM

police made god for the child wandering from four year

खाकी वर्दी के इन प्रयासों से न केवल खुशी अपनों से मिल पाई है बल्कि उसकी दादी सुरजीत कौर (55) को भी अपने बुढ़ापे का सहारा मिल गया।

पंचकूला: पुलिस अगर अपने फर्ज पूरी ईमानदारी से निभाए तो पुलिस के प्रति लोगों की बूरी सोच भी बदल जाएगी। पुलिस विभाग के अच्छे प्रयासों से न जाने कितने ही घरों में खुशियां भर सकती हैं। दिल को खुश कर देने वाला ऐसा ही एक मामला हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच पंचकूला के सार्थक प्रयासों से सामने आया है। जब पुलिस ने एक लावारिस मासूम बच्ची को उसके अपनों से मिलाया। बच्ची को उसके पीता ने चार साल पहले लावारिस छोड़ दिया था। पुलिस ने आठ साल की बच्ची खुशी के अपनों की तलाश की तो खुशी के जीवन में खुशियां भर दी। खाकी वर्दी के इन प्रयासों से न केवल खुशी अपनों से मिल पाई है बल्कि उसकी दादी सुरजीत कौर (55) को भी अपने बुढ़ापे का सहारा मिल गया। 

वीरवार को स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफकिंग यूनिट (ए.एच.टी.यू.) पंचकूला की ए.एस.आई. मुकेश रानी व ए.एस.आई. राजेश कुमार की टीम ने बरनाला में रह रहे मासूम खुशी को परिवार से मिलाया। चार साल से अपनों की जुदाई सह रही बच्ची को देख दादी की अपनी खुशी के आंसू न रोक पाई। पुलिस अब बच्ची के पिता की तलाश में जुटी गई है जिसने बच्ची को लावारिस छोड़ा था।

पिता ने की दूसरी शादी तो बच्ची को छोड़ दिया लावारिस...
मामले की जांच कर रहे ए.एस.आई. राजेश कुमार ने बताया कि चार साल पहले बरनाला के गुरदीप ने दूसरी शादी कर ली और बेटी को अंबाला में लावारिस छोड़कर फरार हो गया। खुशी अंबाला में चार साल तक भटकती रही। जिसके बाद 18 मई को बच्ची पुलिस को मिली तो अंबाला चाइल्ड वेलफेयर काउंसिल के समक्ष पेश करने के बाद उसे पंचकूला में आश्यिाना में भेजा गया। टीम ने बच्ची के साथ काउंसलिंग करते हुए महज दो दिन में ही उसके परिवार को खोज निकाला।

बच्ची ने पहचानी स्कूल ड्रैस...
ए.एच.टी.यू. टीम ने दो दिन पहले बच्ची के परिवार वालों के बारे में जांच शुरू की। खुशी ने टीम को बताया कि वह मूल रूप से बरनाला की रहने वाली है। ए.एस.आई. मुकेश रानी और राजेश कुमार बच्ची को बरनाला लेकर गए। टीम ने लोगों से बच्ची के बारे में पूछताछ की। इस बीच बच्ची ने अपने 4 साल पहले छोड़े स्कूल के बच्चों की ड्रेस देखी तब उसने टीम को बताया वह इसी स्कूल में पढ़ती थी। टीम स्कूल पहुंची और बच्ची का रिकार्ड निकलवाया गया। खुशी इसी स्कूल की छात्रा निकली। टीम ने स्कूल से बच्ची का ड्रैस लेकर उसके घर पहुंची। दादी सुरजीत कौर की बूढ़ी आंखें पोती को देखकर नम हो गईं।

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