पैसे लेकर नहीं दी प्लॉट की पजेशन, फोरम ने ठोका 36 हजार हर्जाना

Edited By pooja verma,Updated: 26 Apr, 2019 07:15 PM

possession of plots not taken by money forum pays 36 thousand damages

पैसे लेकर भी प्लॉट की पजेशन न देना कंपनी को महंगा पड़ गया है।

चंडीगढ़ (राजिंद्र): पैसे लेकर भी प्लॉट की पजेशन न देना कंपनी को महंगा पड़ गया है। फोरम ने निर्देश दिए हैं कि कंपनी शिकायतकर्ता को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ पांच लाख रुपए की राशि रिफंड करें। साथ ही मानसिक पीड़ा और उत्पीडऩ के लिए 25 हजार रुपए मुआवजा और 11 हजार रुपए मुकदमा खर्च भी देने के निर्देश दिए हैं।   

 

आदेश की प्रति मिलने पर 45 दिनों के अंदर इन आदेशों की पालना करनी होगी, नहीं तो कंपनी को मुआवजा राशि पर 9 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा। ये आदेश जिला  उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-2 ने सुनवाई के दौरान जारी किए। 

 

न पजेशन दी और न पैसे लौटाए
कपूरथला, पंजाब निवासी गुरिंदरजीत सिंह ने फोरम में एम.एस. सिसवां पैराडाइस प्राईवेट लिमिटेड, सैक्टर-9 डी मध्य मार्ग, चंडीगढ़, एम.एस. इमर्जिंग इंडिया रियल एसेट्स प्राइवेट लिमिटेड, सैक्टर-9 डी चंडीगढ़ और एम.एस. इमर्जिंग इंडिया हाऊसिंग कार्पोरेशन सैक्टर-9डी चंडीगढ़ के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि कंपनी के लुभावने वायदों में आकर उन्होंने उसके प्रोजैक्ट में 605 स्क्वायर यार्ड का प्लॉट बुक किया। 

 

इसका कुल प्राइज 4.50 लाख रुपए था, जिसमें से उन्होंने 13 जून, 2012 को 2.50 लाख रुपए अदा कर दिए। साथ ही शिकायतकत्र्ता की पत्नी ने भी 21 जुलाई, 2012 को 2.50 लाख रुपए अदा करने के बाद अप्लाई किया और उसे भी यूनिट अलॉट कर दी गई। 

 

बाद में एक पब्लिक नोटिस के जरिए शिकायतकत्र्ता को पता चला कि कंपनी द्वारा बेची गई यूनिट्स के लिए उसने ग्माडा से जरूरी लाइसैंस और अप्रूवल्स नहीं ली हैं। इसके बाद ही शिकायतकर्ता की रिक्वैस्ट पर कंपनी ने उसकी पत्नी के अमाऊंट को उसके प्लॉट के एडिशनल अमाऊंट के रूप में एडजस्ट कर दिया। 16 अक्तूबर, 2014 को कंपनी की तरफ से 5 लाख रुपए की रिसिप्ट की उन्हें पेमेंट कंफर्मेशन भी दे दी गई। 

 

बायर्स एग्रीमैंट तैयार नहीं किया
शिकायतकर्ता ने कहा कि बार-बार रिक्वैस्ट के बावजूद कंपनी ने बायर्स एग्रीमैंट तैयार नहीं किया, जिसके बाद ही उन्होंने इस संबंध में फोरम में शिकायत दी। सिसवां पैराडाइज ने फोरम में अपना पक्ष नहीं  रखा, जिसके चलते उसे एक्सपार्टी (एकतरफा) करार दिया गया। 

 

वहीं इमर्जिंग इंडिया रियल एसेट्स और इमर्जिंग इंडिया हाऊसिंग कार्पोरेशन को कई बार रिप्लाई करने के लिए मौका दिया गया, लेकिन रिप्लाई न देने के चलते ही उनके डिफैंस को स्ट्रक ऑफ  कर दिया गया। 
   

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