PU के विभागों में शिक्षकों की कमी दिखा अपनों को किया जा रहा एडजस्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Mar, 2018 08:01 AM

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पंजाब यूनिवर्सिटी के विभागों में शिक्षकों की कमी दिखा अपनों को एडजस्ट करने का मामला सामने आया है।

चंडीगढ़(साजन) : पंजाब यूनिवर्सिटी के विभागों में शिक्षकों की कमी दिखा अपनों को एडजस्ट करने का मामला सामने आया है। गैस्ट फैकल्टी के बाद अब गैस्ट लैक्चर लेने के लिए भी अपनों को ही तवज्जो दी जा रही है। वाइस चांसलर प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर की पत्नी प्रो. नीरा ग्रोवर को डिपार्टमैंट ऑफ म्यूजिक में गैस्ट लैक्चर देने की उस लिस्ट में शामिल किया गया, जिसे हाल ही में विभाग के शैक्षिक मामलों की कमेटी ने मंजूरी दी है। 

 

अगर कम टीचर होने की समस्या के मद्देनजर स्टूडैंट्स की मदद के लिए आगे आने का ही अकेला सवाल होता तो शायद कोई भी ऐतराज न जताता लेकिन गैस्ट फैकल्टी को प्रति लैक्चर 1 हजार रुपए देने को एकैडमिक कमेटी ने मंजूरी दे दी। ऐतराज इसी पर उठ रहे हैं कि जो पहले ही दो-दो लाख रुपए की भारी-भरकम तनख्वाह ले रहे  हैं उन्हें बतौर 1 हजार रुपए प्रति लैक्चर (अधिकतम 25 हजार प्रतिमाह) पर रखना क्या वाजिब है। वह भी तब जब पी.यू. आॢथक संकट से जूझ रही है। बतौर गैस्ट लैक्चर या गैस्ट फैकल्टी यूनिवर्सिटी की शर्त यह रहती है कि प्रति माह गैस्ट लैक्चर के लिए 25 हजार रुपए से ज्यादा की राशि नहीं दी जा सकती। 

 

छुट्टियों में ही कर दी थी नियुक्ति :
प्रो. नीरा ग्रोवर की पी.यू. के म्यूजिक विभाग में नियुक्ति पहले भी विवादों में रही है। उन्होंने यहां नियुक्ति इस आधार पर ली थी कि उनके पति प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर चूंकि  यहां वाइस चांसलर बन गए हैं लिहाजा उन्हें यहां नियुक्त किया जाए। 23 जुलाई 2012 को प्रो. ग्रोवर ने पी.यू. के वी.सी. का कार्यभार संभाला हालांकि उनके वी.सी. बनने की घोषणा 24 जून को ही हो गई थी। 

 

5 जुलाई 2012 को पी.यू. में छुट्टियों के दौरान म्यूजिक विभाग की स्पैशल मीटिंग बुलाई गई जिसमें प्रो. नीरा ग्रोवर को विजिटिंग प्रोफैसर नियुक्त करने पर रजामंदी बनी और इसके तत्काल बाद हुई सीनेट में उनकी नियुक्ति पर ठप्पा लग गया, हालांकि उन्होंने औपचारिक तौर पर दिसम्बर 2012 में ज्वाइन किया। बाकायदा प्रो. नीरा ग्रोवर की बतौर विजिटिंग प्रोफैसर सैलरी फिक्स की गई।

 

जुलाई, 2017 में प्रोफैसर ने दिया था इस्तीफा :
जानकारी के मुताबिक करीब 1.5 से 2 लाख रुपए महीना विजिटिंग प्रोफैसर की सैलरी के तौर पर दिया जाने लगा। जुलाई 2017 तक लगातार वह इसी विभाग में बतौर विजिटिंग प्रोफैसर काम करती रही। जुलाई में उन्होंने खराब सेहत का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। 

 

विभाग की 30 जनवरी 2018 को मीटिंग हुई जिसमें आठ टीचरों को गैस्ट लैक्चर लेने की लिस्ट में शामिल कर लिया गया। इसमें अन्य नामों के साथ प्रो. नीरा ग्रोवर का नाम भी शामिल था। विभाग की अकादमिक और एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी ने इस प्रस्ताव पर मोहर से पहले कहा कि विभाग में फैकल्टी की जबरदस्त कमी है। 

 

यू.बी.एस. ने कर दिया था पैसा देने से इन्कार :
हाल ही में यूनिवर्सिटी बिजनैस स्कूल में भी अकादमिक कमेटी के समक्ष ऐसा प्रस्ताव आया जिसमें कई टीचरों ने बतौर गैस्ट लैक्चर और गैस्ट फैकल्टी के तौर पर अपना नाम आगे किया। यह प्रस्ताव विभाग की ओर से बनाई गई कमेटी के समक्ष गया तो वहां इन टीचरों को कहा गया कि वह 2 लाख से 2.5 लाख के बीच पहले ही सैलरी ले रहे हैं। अगर वो स्वेच्छा से बिना पैसा लिए स्टूडैंट्स की समस्याएं देखते हुए कक्षाएं लेना चाहते हैं तो कोई ऐतराज नहीं। सूत्रों के अनुसार जब पैसा न लेने की कंडीशन डली तो सभी ने अपने नाम वापस ले लिए।

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