फ्लैट्स के अधिक रेट्स होने का किया विरोध, कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय

Edited By pooja verma,Updated: 23 Jun, 2019 11:10 AM

resistance of higher rates of flats injustice to employees

यू.टी. इम्प्लाइज हाऊसिंग वैल्फेयर सोसायटी चंडीगढ़ की आपात बैठक शनिवार को बुलाई गई, जिसकी अध्यक्षता बलविंद्र सिंह ने की।

चंडीगढ़ (राजिंद्र): यू.टी. इम्प्लाइज हाऊसिंग वैल्फेयर सोसायटी चंडीगढ़ की आपात बैठक शनिवार को बुलाई गई, जिसकी अध्यक्षता बलविंद्र सिंह ने की। सोसायटी के महासचिव डा. धर्मेंद्र ने बताया कि मीटिंग में उपस्थित सभी कर्मचारी नेताओं ने चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड द्वारा कर्मचारियों से राय मांगने के लिए जारी किए गए नोटिस पर गंभीरता से विचार किया और कर्मचारियों के फ्लैटों के लिए कलैक्टर रेट के अनुसार निर्धारित किए गए नए रेट पर घोर निराशा व्यक्त की। 

 

बलविंद्र सिंह, डा. धर्मेंद्र, नरेश कोहली, रामप्रकाश शर्मा व रविंद्र कौशल आदि नेताओं ने कहा कि नए रेट कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय है। डा. धर्मेंद्र ने कहा कि 2008 में यू.टी. इम्प्लाइज के लिए निकाली गई हाऊसिंग स्कीम में रेट इम्प्लाइज की सेलरी के अनुसार ही रखे गए थे, ताकि कर्मचारी आसानी से फ्लैट की कीमत चुका सकें। 

 

स्कीम निकालने के समय जनवरी 2008 में चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने फ्लैटों के रेट ए कैटेगरी 34.70 लाख, बी कैटेगरी 24.30 लाख, सी कैटिगरी 13.53 लाख और डी कैटेगरी के लिए 5.76 लाख तय किए थे लेकिन हाऊसिंग बोर्ड ने ब्रोशर में दिए गए रेट से लगभग 6 से 10 गुणा ज्यादा लगाकर कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय किया है। 

 

उन्होंने बताया कि आज मार्कीट से ही यदि कर्मचारी फ्लैट खरीदता है तो 3 बैडरूम का फ्लैट 80-85 लाख में मिल जाता है। फिर हाऊसिंग बोर्ड ने क्या सोच कर मार्कीट रेट से भी डबल रेट लगाए हैं। 

 

कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं 
डा. धर्मेंद्र ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन ने जमीनें तो खरीदी हैं एकड़ के हिसाब से वो भी बहुत कम रेट पर 2 से 2.5 करोड़ रुपए एकड़ और अब कर्मचारियों से चार्ज कर रहा है गज के हिसाब से कलैक्टर रेट पर जो कि 66 करोड़ रुपए एकड़ बनता है जो सैद्धांतिक और कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं है। इसमें चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के अधिकारी और चंडीगढ़ के तात्कालीन प्रशासक शिवराज पाटिल बराबर के जिम्मेदार हैं। 

 

जब इम्प्लाइज हाऊसिंग स्कीम का ड्रा उच्च न्यायालय के दखल के बाद किया गया तो फिर उस समय तत्कालीन प्रशासक महोदय शिवराज पाटिल ने स्कीम को जमीन उपलब्ध होने के बावजूद भी स्क्रैप किया। उन्होंने कहा कि उन्हें फ्लैट पुराने रेट पर ही चाहिए। हम अपने वकील से सलाह मशविरा करके हाऊसिंग बोर्ड को राय देने के संबंध में अगला कदम उठाएंगे।
 

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