Edited By Priyanka rana,Updated: 04 Mar, 2020 12:45 PM
‘सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में बहुत कुछ है, मगर सब कुछ नहीं’। यह शब्द चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूआं में आयोजित टॉक शो में पंजाबी सूफी गायक सतिंदर सरताज ने कहे।
मोहाली(नियामियां) : ‘सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में बहुत कुछ है, मगर सब कुछ नहीं’। यह शब्द चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूआं में आयोजित टॉक शो में पंजाबी सूफी गायक सतिंदर सरताज ने कहे। सरताज ने टॉक शो में विद्यार्थियों के सवालों के जवाब देने के साथ-साथ संगीत, शायरी और थिएटर क्षेत्र की बारीकियों तथा अपनी जिंदगी के अनुभव सांझे किए। वहीं उन्होंने सोशल मीडिया के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर यह एक बहुत अच्छा बदलाव है, बशर्ते इसके प्रयोग के लिए कुछ सीमाएं निर्धारित कर ली जाएं।
उन्होंने विद्यार्थियों को कहा कि सोशल मीडिया के प्रयोग को सीमित कर अपने लक्ष्य की ओर बढऩे के लिए मेहनत करनी चाहिए, क्योंकि जीवन का यही समय आपकी जिंदगी की दिशा तय करता है। सरताज ने कहा कि वर्तमान में रिश्तों में पड़ रही दरारों में सोशल मीडिया का बहुत योगदान है। सरताज ने विद्यार्थियों को बहुत आसान लफ्जों में समझा दिया कि सोशल मीडिया से वैश्विक स्तर पर हमें एक-दूसरे से जोड़े हुए हैं, इसलिए सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में बहुत कुछ है, मगर सब कुछ नहीं।
सरताज ने कहा कि हमें सभी को एक समान नजर से देखना चाहिए और इसका उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी धार्मिक स्थल, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च समानता का प्रतीक है तथा हर मनुष्य धार्मिक स्थान पर खुद को बराबर व सकारात्मकता का एहसास करता है। वहीं सरताज ने कहा कि सिंगर, अभिनेता तथा निर्देशकों को अपने निर्माण के लिए सलाह हमेशा आम आदमी से लेनी चाहिए, क्योंकि वह बिना किसी फायदे या नुकसान के डर से सच बताएंगे।
सरताज ने विद्यार्थी जीवन के बारे में कहा कि यह समय जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण समय होता है तथा इसमें ज्ञान अर्जित कर, छोटे-छोटे अनुभवों से सीख कर व परिश्रम कर तथा शिक्षा को व्यावहारिक तौर पर प्रयोग कर आगे बढऩे का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि स्वयं को कम आंकने की प्रवृति को कभी पनपने नहीं देना चाहिए। हमें ही फल की प्रतीक्षा में दुखी होने की प्रवृति छोड़ कर कर्म करते रहना चाहिए।