सारा दिन राख में उम्मीद ढूंढते रहे दुकानदार

Edited By bhavita joshi,Updated: 19 Dec, 2018 11:06 AM

shopkeepers looking for hope all day long

जीरकपुर-अंबाला रोड पर फ्लाईओवर के नीचे स्थित अवैध मंडी में सोमवार रात 10 बजे लगी आग का असर मंगलवार को भी रहा।

जीरकपुर (गुरप्रीत): जीरकपुर-अंबाला रोड पर फ्लाईओवर के नीचे स्थित अवैध मंडी में सोमवार रात 10 बजे लगी आग का असर मंगलवार को भी रहा।  जूतों, कपड़ों, मनियारी, खान-पान और सब्जी व फ्रुट की दुकानों के कबाड़ के ढेर में से दिनभर धुआं उठता रहा और सुबह एक-दो बार हल्की आग भी लगी। इसके लिए दमकल टीमें बुलानी पड़ी। मंगलवार को भी दिनभर भीड़ जमा रही। कुछ दुकानदार जो ब्याज पर पैसे लेकर अपनी दो वक्त की रोटी चला रहे थे, आगजनी के सदमे के कारण रातभर से घर ही नहीं गए। 

आग बुझने के बाद नगर कौंसिल ने जे.सी.बी. की मदद से सारे कबाड़ को एकत्र करके बड़ा ढेर कर दिया था। दुकानदार सुबह से राख में सामान के रूप में उम्मीद ढूंढते रहे। वे इसी उहापोह में लगे रहे कि इस मुसीबत से कैसे निपटा जाए। वहीं,  बिजली विभाग के कर्मचारी दिनभर वहां तारों को सुधारने और नई लाइनें डालने में व्यस्त दिखे तो अग्निशमन विभाग का अमला भी मुस्तैद नजर नजर आया।  

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दीपइंदर ढिल्लों व विधायक एन.के. शर्मा ने जताया दुख
पी.पी.सी.सी. सचिव दीपइंदर ढिल्लों व हलका विधायक एन.के. शर्मा ने पीड़ित लोगों से मिलकर आगजनी की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को प्रभावितों की हर संभव मदद के निर्देश दिए हैं। इधर, ढिल्लों की हिदायत पर मंगलवार को तहसीलदार परमजीत सिंह ने प्रभावित लोगों के मुआवजे लिए एक पांच सदस्यों की समिति का गठन कर दिया है।      

जीरकपुर के पास अपनी फायर ब्रिगेड तक नहीं
जीरकपुर में साल-दर-साल से घटती आग की घटनाओं में बचाव के लिए खुद की फायर ब्रिगेड नहीं है। अगर कहीं कुछ हादसा हो जाता है तो डेराबस्सी, मोहाली या पंचकूला की फायर ब्रिगेड से मदद ली जाती है। फैस्टिवल सीजन में इसकी ज्यादा जरूरत पड़ती है। खासकर दीवाली से लेकर नए साल तक के दौरान यहां आगजनी की घटनाएं होती हैं। ऐसे में आग से बचाव के लिए अब इस शहर को दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। 

दुकानदारों का दावा
हर दुकान में था 50 हजार से 1 लाख तक का सामान
दुकानदारों का कहना है कि हर दुकान में 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपए तक का माल आग में राख हो गया। व्यापारियों का दावा है कि नुक्सान का आंकड़ा करोडों में है। दुकानदारों फैजान, असलम, हयात, असलम खान, फजल, कलाम खान, सतवीर वर्मा, राकेश कुमार, संजय शर्मा, पप्पू, रेखा, राम, संगीता, अमर, पाली, राजेश बंसल ने बातचीत में दावा किया कि यहां हर दुकान में औसतन 50 हजार से 1 लाख रुपए का माल भरा था।

दुकानों की नहीं की जांच, अधिकतर में था ज्वलनशील पदार्थ 
अवैध मंडी में जिन दुकानों में आग लगी, उनमें अधिकतर में सिलैंडर, स्टोव, डीजल जैसे ज्वलनशील पदार्थ रखे थे। मौके पर मौजूद रहे लोगों का कहना है कि इन दुकानों में पुलिस, कौंसिल प्रशासन और अग्निशमन विभाग के अधिकारी कभी कोई जांच नहीं करते। यहां आग बुझाने के उपकरण भी नहीं होते, लेकिन अग्निशमन विभाग इससे जानबूझकर अनजान बना हुआ है। खाने-पीने की दुकानों में घरेलू सिलैंडर हमेशा रखे रहते हैं, जिसमें कई बार छोटी-मोटी आग लग चुकी है। 

लापरवाही: अगर बिजली समय पर कटती तो नहीं होता हादसा
असलम खान ने बताया कि मैं सोमवार रात दुकानों के बाहर ही था। रात करीब 9 बजे दुकान पर आग दिखी। जब मैं पास गया तो पता चला कि दुकान पर गिरी बिजली की तार से चिंगारी निकल रही है। मैंने दुकानदारों को बताकर तुरंत  अग्निशमन विभाग को फोन पर पूरी बात बताई। इसके बाद बिजली विभाग को भी जानकारी दी और बिजली तुरंत काटने को कहा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ देर में एक दमकल विभाग की एक गाड़ी मौके पर आ गई, लेकिन उन्होंने आग बुझाने के लिए पानी डालने से मना कर दिया। वह बोला कि जब तक पूरी बिजली सप्लाई नहीं काटी जाती, हम पानी नहीं डाल सकते क्योंकि पानी से पूरे मार्कीट में करंट फैल जाएगा। 25 मिनट तक रोड लाइटें बंद नहीं हुई, इसलिए आग ने विकराल रूप लिया। 

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