Edited By bhavita joshi,Updated: 07 Apr, 2019 10:58 AM
बेटे की हार्ट अटैक से मौत होने पर एल.आई.सी. को बीमाकृत राशि जारी न करना महंगा पड़ गया है।
चंडीगढ़(राजिंद्र): बेटे की हार्ट अटैक से मौत होने पर एल.आई.सी. को बीमाकृत राशि जारी न करना महंगा पड़ गया है। फोरम ने एल.आई.सी. को निर्देश दिए है कि वह शिकायतकर्त्ता को बीमाकृत राशि 8 लाख रुपए अदा करे। आदेश की प्रति मिलने पर दो माह के अंदर इन आदेशों की पालना करनी होगी, नहीं तो कंपनी को उक्त राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देना होगा। ये आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-1 ने सुनवाई के दौरान जारी किए।
लीगल नोटिस का भी नहीं दिया जवाब
गांव बुटरेला निवासी सतविंद्र कौर ने फोरम में एल.आई.सी. ब्रांच ऑफिस, सोलन हिमाचल प्रदेश और एल.आई.सी. डिवीजनल ऑफिस, सैक्टर-17 बी चंडीगढ़ के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायतकर्त्ता ने कहा कि उसके बेटे तरनदीप सिंह ने एल.आई.सी. पॉलिसी ली थी, जिसमें उसका लाइफ बीमा किया गया था और मां को नॉमिनी बनाया गया था। मृतक सरकारी नौकरी करता था और बुडै़ल जेल में तैनात था। पॉलिसी का प्रीमियम उसके चंडीगढ़ ब्रांच के बैंक अकाऊंट से काटा जा रहा था।
शिकायतकर्त्ता ने बताया कि मृतक तरनदीप सिंह को हार्टअटैक आया, जिसमें वह बच नहीं पाया। 1 फरवरी 2015 को उसकी मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के बाद शिकायतकर्त्ता ने उसकी बीमाकृत राशि को जारी करने के लिए क्लेम किया लेकिन एल.आई.सी. की तरफ से उन्हें इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया गया। यहां तक कि लीगल नोटिस भी भेजा गया लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद ही उन्होंने इस संबंध में फोरम में शिकायत दी।
फोरम ने कहा- एल.आई.सी. ने सेवा में कोताही की
एल.आई.सी. ने फोरम में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि नियमित रूप से प्रीमियम नहीं जमा करवा पाए, क्योंकि मासिक किस्त मृतक के बैंक अकाऊंट से ई.सी.एस. के जरिए काटी जानी थी लेकिन पॉलिसी जारी करने की शुरूआत से ही ई.सी.एस. के जरिए इनवॉइस बाऊंस होती रही। इसी के चलते पॉलिसी समाप्त हो गई, इसलिए उन्होंने सेवा में कोई कोताही नहीं बरती। फोरम ने अपने आदेशों में कहा कि शिकायतकर्त्ता की बेटे की 1 फरवरी 2015 को मृत्यु हुई थी लेकिन उस दिन पॉलिसी ऑप्रेशनल थी, इसलिए क्लेम न देकर एल.आई.सी. ने सेवा में कोताही की है।