सिंडीकेट चुनाव: सिर्फ दो पुराने, 13 नए चेहरे

Edited By bhavita joshi,Updated: 17 Dec, 2018 08:44 AM

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इस बार सिंडीकेट में प्रो. नवदीप गोयल एवं प्रो. अशोक गोयल ही दो सदस्य ऐसे हैं, जो पिछली बार भी सिंडीकेट में थे।

चंडीगढ़(रश्मि): इस बार सिंडीकेट में प्रो. नवदीप गोयल एवं प्रो. अशोक गोयल ही दो सदस्य ऐसे हैं, जो पिछली बार भी सिंडीकेट में थे। बाकी सभी सदस्य नए हैं। पंजाब विश्वविद्यालय सिंडिकेट चुनाव में इस बार भाजपा गुट का सफाया हो जाने से अब कुलपति प्रो. राज कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कुलपति कई फैसले अभी तक भाजपा व संघ के दबाव में लेते आ रहे थे। 

पहले मुनीश्वर जोशी को अपना सचिव लगाया, जो पहले पी.यू. में काम तो कर चुके थे मगर प्रो. ए.के. ग्रोवर के समय में पंजाब में भाजपा कोटे के मंत्री अनिल जोशी के साथ चले गये थे। उसके बाद प्रो. कर्मजीत सिंह को रजिस्ट्रार लगाया। समझा जाता है कि उनका भी केंद्र के स्तर पर कोई दबाव था। इसी तरह संजय कौशिक को डी.सी.डी.सी. का कार्यभार दे दिया गया, जो खुद भी कुलपति की दौड़ में शामिल थे। इसी तरह कई सीनियर प्रोफैसरों की अनदेखी कर प्रो. एस.के. तोमर को भी डीन रिसर्च लगा दिया था जिसे सिंडीकेट ने बदलवा दिया। इसके अलावा कंट्रोलर को कंट्रोल करने के मकसद से दो सदस्यीय एक कमेटी परीक्षाओं जैसे संवेदनशील व गोपनीय काम को देखने के लिए बना डाली थी। 

पॉलीटिक्स हर जगह : के.के .शर्मा 
साइंस फैकल्टी से डा.के.के .शर्मा पहली बार सीनेट व सिंडीकेट के सदस्य बने हैं। वह ए.एस. कालेज खन्ना से हैं। उन्होंने कहा कि वह शिक्षकों के वेतन और उनकी समस्याओं पर काम करना चाहते हैं। पी.यू. में हो रही पालीटिक्स को लेकर उन्होंने कहा कि  पॉलीटिक्स हर जगह है। वहीं डी.ए.वी. अबोहर के प्रिंसीपल प्रो. राजेश महाजन भी पहली बार सीनेट व सिंडीकेट सदस्य बने हैं। उन्होंने कहा कि  मैं ग्रामीण क्षेत्र से संबंध रखता हूं। वहां पर कॉलेज संबंधी स्टूडैंट्स संबंधी बहुत सी समस्याएं हैं, जिन्हें मैं यहां पर लाना चाहता हूं। सीनेटर गुरदीप गिद्दड़़वाला भी पहली बार सीनेट व सिंडीकेट सदस्य  बने हैं। गुरदीप ने कहा कि कालेज शिक्षकों के  हितों के लिए  काम करना चाहते हैं।

अशोक गोयल 26 साल से हैं सीनेट में 
अशोक गोयल  को सीनेट में करीब 26 साल होने जा रहे हैं। इस बीच वह हर सिंडीकेट के चुनाव लड़ते रहे हैं। वह सिंडीकेट के चुनाव में करीबन 20 बार जीत चुके हैं। अशोक गोयल कहते हैं कि मुझे खुद भी याद नहीं कि मैं कितनी बार सिंडीकेट चुनाव जीता हूं। उन्होंने कहा कि  कैंपस में अभी टैक्नोलाजी की काफी कमी है, जिसे कैंपस में लाना जरूरी है। 

वोटिंग के लिए टंडन पहुंचे, खेर नहीं 
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन, भाजपा नेता सत्यपाल जैन, पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल, होशियारपुर के विधायक राजकुमार वोट करने के लिए कैंपस पहुंचे थे। एम.पी. किरण खेर  शहर से बाहर थीं, इसलिए वह  वोट करने नहीं पहुंचीं। पी.यू. के पूर्व वी.सी. प्रो. आर.पी. भामहा, डी.ए.वी. मैनेजमैंट की अध्यक्ष पूनम सूरी पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के वी.सी. प्रो. घुममन आदि वोट करने नहीं आए थे। 

कई सदस्य हमारे साथ : सुभाष
बीजेपी से सीनेटर सुभाष शर्मा ने कहा कि आर्ट में एन.आर. शर्मा को 15 वोटें पड़ी थी। हालांकि दो वोट इनवैलिड हो गई, नहीं तो एन.आर. शर्मा को ही  जीतना था। इसी तरह से लैंग्वेज में संदीप कुमार को दस वोट पड़े हैं, जबकि दो इनवैलिड वोट हो गई। वोटों की गिनती से साफ जाहिर है बहुत से सदस्य हमारे साथ हैं। 

नवदीप व अशोक के  बीच गठजोड़ अनैतिक 
अशोक  गोयल एवं प्रो. नवदीप गोयल के बीच हुआ गठजोड़ बेहद अनैतिकता वाला है। अशोक गोयल की ओर सेप्रो. नवदीप गोयल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। उन पर जांच करवाने के लिए प्रो. राजेश गिल ने लैटर पी.यू. के वी.सी. को सौंपा था। यहां तक कि सी.बी.आई. जांच की मांग की थी। 

अनु चतरथ निर्विरोध डीन चुनी गई
फैकल्टी ऑफ लॉ में अनु चतरथ को निर्विरोध डीन, प्रो. मीनू पॉल को सैक्रेटरी चुना गया। फैकल्टी ऑफ  मैडीकल साइंसिज में डीन डा. प्यारे लाल को चुना गया। उन्हें 35 वोट पड़े। सैक्रेटरी प्रो. आशीष जैन को चुऩा गया। वहीं डेयरिंग,एनिमल हस्बैंडरी एंड एग्रीकल्चर के डीन जरनैल सिंह, सैक्रेटरी नरेंद्र सिंह सिद्धू को निर्विरोध चुन लिया गया।

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