Edited By ,Updated: 11 May, 2016 11:15 AM
जी.एम.सी.एच.-32 में कोई लोकेशन ढूढंनी हो या फिर किसी डाक्टर के कमरे तक जाना हो, तो उसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। सिर्फ ‘इन मैप’ नाम की एक एप्लीकेशन पर क्लिक कीजिए और आप आसानी से अपनी मंजिल पर पहुंच सकते हैं।
चंडीगढ़, (रश्मि हंस): चंडीगढ़ के जी.एम.सी.एच.-32 हॉस्पिटल एक बहुत बड़ा अस्पताल है। जहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग अपना इलाज करवाने के लिए आते है। पेशेंट्स को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उनमें से एक है डॉक्टर के रूम का पता लगाना की किस जगह और किस रूम में डॉक्टर मिलेगा। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए अस्पताल ने इसका हल निकाला है।
जी.एम.सी.एच.-32 में कोई लोकेशन ढूढंनी हो या फिर किसी डाक्टर के कमरे तक जाना हो, तो उसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। सिर्फ ‘इन मैप’ नाम की एक एप्लीकेशन पर क्लिक कीजिए और आप आसानी से अपनी मंजिल पर पहुंच सकते हैं।
इसी तरह की एक एप यू.आई.ई.टी. असिस्टैंट प्रो. डा. नवीन अग्रवाल की गाईडैंस में डिजाइन की है पी.यू. एल्युमनी रजत कोष, पुनीत सिक्का, राहुल बंगार ने। फिलहाल यह एप जी.एम.सी.एच.-32 के लिए तैयार की गई है।
डा. नवीन ने बताया कि बहुत से ऐसे मरीजहोते हैं जो जी.एम.सी.एच. में चैकअप के लिए आते हंै लेकिन उन्हें अस्पताल में विभागों की लोकेशन पता नहीं होती और न ही उन्हें यह पता होता है कि डाक्टर किस वार्ड बैठे हैं। डाक्टर का कमरा नंबर क्या है लेकिन इस एप के जरिए वह आसानी से सब सर्च कर सकते हैं।
इसके अलावा वह ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट की भी रजिस्टे्रशन करवा सकते हैं। साथ ही अस्पताल में होने वाले टैस्ट के चार्जेस क्या हैं बारे भी सर्च कर सकते हैं। इस एप को जी.एम.सी.एच. के डाक्टरों के साथ भी लिंक किया गया है।
डा. नवीन ने बताया कि पहले जिन एप के जरिए हम लोकेशन सर्च करते है उन एप में जी.पी.एस. का प्रयोग होता है लेकिन यह पहली ऐसी एप है जिस पर जी.पी.एस. का प्रयोग नहीं किया गया है।
इस प्रोजैक्ट पर काम यू.आई.ई.टी. में स्थित द डिजाइन इनोवेशन सैंटर के तहत किया गया है। इस प्रोजैक्ट को दिसम्बर 2015 में शुरू किया गया था। जिसके रिजल्ट काफी अच्छे आए हैं। डा. नवीन ने बताया कि इस एप को गूगल प्ले में जाकर ङ्क्षलक किया जा सकता है।
एलांते मॉल और प्लाजा को भी जोड़ा जाएगा
डा. नवीन अग्रवाल ने बताया कि एलांते मॉल और सैक्टर-17 स्थित प्लाजा की लोकेशन बताने वाले इसी तरह के प्रोजैक्ट पर काम जल्द शुरू किया जाएगा। वहीं अगर प्रशासन चाहेगा और फंड देगा तो रॉक गार्डन व म्यूजियम जैसी कर्मिशयल जगहों के लिए भी इस एप को तैयार किया जा सके गा।
यू.आई.ई.टी. में ब्लूटूथ और सैंसर के साथ काम शुरू
पी.यू. के यू.आई.ई.टी. विभाग के ग्राऊंड फ्लोर पर ब्लूटूथ और सैंसर के साथ जोड़कर इस एप को तैयार किया जा रहा है। जिससे ब्लांइड और सुनने में असमर्थ व्यक्ति भी इस एप का फायदा उठाकर अपनी तय लोकेशन पर पहुंच सके। ग्राऊंडफ्लोर पर ब्लूटूथ और सैंसर लगाने पर करीब 50 हजार रुपए खर्च आएगा।
50 लाख आएगा खर्च
जी.एम.सी.एच.-32 की बिल्डिंग में बलूटूथ और सैंसर इंस्टॉल करने में करीब 50 लाख रुपए का खर्चा आएगा। इसके इंस्टॉल से जो लोग देखव सुन नहीं सकते हैं, वह एप के जरिए ही अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। अगर प्रशासन हमें फंड देता है तो ब्लूटूथ और सैंसर पर काम शुरू कर दिया जाएगा।