भाजपा विरोधी दलों से बात करती तो राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की नौबत नहीं आती : यशवंत

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 12 Jul, 2022 07:35 PM

the election of the 15th president is going on in difficult circumstances

भाजपा अगर विरोधी दलों से बातचीत करती तो राष्ट्रपति चुनाव की नौबत ही नहीं आती लेकिन भाजपा अब एक पार्टी, एक नेता और एक देश की राजनीति पर आगे बढ़ रही है। यह बात राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कही। सिन्हा प्रदेश...

चंडीगढ़,(बंसल): भाजपा अगर विरोधी दलों से बातचीत करती तो राष्ट्रपति चुनाव की नौबत ही नहीं आती लेकिन भाजपा अब एक पार्टी, एक नेता और एक देश की राजनीति पर आगे बढ़ रही है। यह बात राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कही। सिन्हा प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने कहा कि उस समय की भाजपा मर चुकी है अब नई भाजपा है। वाजपेयी सरकार बातचीत के माध्मय से आगे बढ़ती थी जबकि मौजूदा सरकार टकराव के माध्यम से आगे बढ़ती है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निवास पर कांग्रेस विधायकों से मुलाकात करते हुए अपने पक्ष में समर्थन मांगा। हुड्डा ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को कांग्रेस के सभी विधायकों द्वारा वोट देने का भरोसा दिलाया। हुड्डा ने कहा कि यह चुनाव पहचान का चुनाव नहीं है, यह विचारधाराओं के बीच का चुनाव है, संविधान के प्रति प्रतिबद्धताओं का चुनाव है। इसलिए कांग्रेस यशवंत सिन्हा के साथ है।

 


यशवंत सिन्हा ने कहा कि पूरे देश में भय का माहौल है। ङ्क्षहदू लोग मुसलमानों से डर रहे हैं और मुसलमान लोगों को ङ्क्षहदुओं का डर सताता रहता है। ङ्क्षहदू और मुसलमान, दोनों को सरकारी एजैंसियों की कार्रवाई का डर है। केंद्र सरकार ई.डी., इनकम टैक्स और सी.बी.आई. जैसी एजैंसियों का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने अमरनाथ हादसे के लिए प्रशासन को दोषी ठहराते हुए कहा कि पहले 4 से 5 हजार लोगों को ही जाने दिया जाता था लेकिन अब 15 से 16 हजार लोग वहां पहुंचे हुए थे। उत्तर प्रदेश सरकार के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल में जवाब में उन्होंने बिना नाम लिए कटाक्ष करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की बात करते हुए मुझे भय लगता है क्योंकि वह नोएडा में रहते हैं और पता नहीं कब बुलडोजर आकर उनका घर तोड़ दे। 
 

 

15वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद मुश्किल परिस्थितियों में हो रहा
यशवंत सिंह ने कहा कि भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद मुश्किल परिस्थितियों में हो रहा है। इससे पहले कभी ऐसा कभी नहीं हुआ। 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के दौरान भी हमारे गणतंत्र को संविधान के लिए एक साथ इतने खतरों का सामना नहीं करना पड़ा था। आज सरकार के कुप्रबंधन के कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है, जिससे अभूतपूर्व मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी पैदा हो रही है। उन्होंने लोकतंत्र को खतरे में बताते हुए कहा कि ई.डी., सी.बी.आई., आयकर विभाग जैसी एजैंसियों और यहां तक कि राज्यपाल कार्यालय का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने, विपक्षी दलों में दलबदल करवाने और विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को गिराने के लिए हथियार के रूप में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल का एक पार्टी, एक शासक वाला एजैंडा लोकतांत्रिक भारत को कम्युनिस्ट चीन की तरह बदलने के लिए है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
 

 

-राष्ट्रपति के कार्यकाल के हिसाब से पिछले 5 साल का दौर खामोशी का दौर था
यशवंत सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के हिसाब से पिछले 5 साल का दौर खामोशी का दौर था। अगर इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में मुझे नहीं जिताया गया तो अगले 5 साल भी रबर स्टाम्प का दौर होगा। उन्होंने कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति का चुनाव जीत जाता हूं तो सरकार संविधान के सिद्धांतों से भटकने पर मैं बिना किसी डर या पक्षपात के अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करूंगा। विशेष रूप से, जब सरकार विपक्ष के खिलाफ ई.डी., सी.बी.आई., आई.टी. विभाग और अन्य एजैंसियों और संस्थानों का दुरुपयोग करेगी तो वह इसे तुरंत रोकूंगा। 
 

 

-उदयभान ने इनैलो-जजपा पर साधा निशाना
हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने इनैलो व जजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे नेताओं की कमी नहीं है, जो राजनीति तो भाजपा के खिलाफ करते हैं, लेकिन मौका आने पर वोट भाजपा को ही देते हैं। अभय सिंह चौटाला बात-बात पर भाजपा के खिलाफ आरोप लगाते हैं, लेकिन वोट उसे ही देते हैं। इसी तरह, जजपा ने भाजपा के खिलाफ लोगों से वोट हासिल किए, लेकिन इस पार्टी के नेता भाजपा सरकार की गोद में बैठे हैं। इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में भी ऐसे नेताओं की असलियत का पता चलेगा।

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