मादक पदार्थों की बरामदगी सामान्य आपराधिक मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा : हाईकोर्ट

Edited By Updated: 17 Jun, 2025 07:32 PM

the seizure of narcotic substances is a matter of national importance

पटियाला में दर्ज ड्रग्स तस्करी के मामले में आरोपी को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से इनकार

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की समस्या की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि मादक पदार्थों की बरामदगी के मामले सामान्य आपराधिक मामले नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे हैं, जिन्हें सावधानीपूर्वक न्यायिक तरीके से निपटाना चाहिए। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि सख्त और बिना किसी समझौते के उपाय अपनाए बिना मादक पदार्थों की समस्या पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल का यह बयान उस मामले में आया, जिसमें एक आरोपी ने पटियाला जिले के पासियाना पुलिस स्टेशन में नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंस (एन.डी.पी.एस.) एक्ट के प्रावधानों के तहत 26 फरवरी को दर्ज एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत मांगी थी।

वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को सह-आरोपी की डिस्क्लोजर स्टेटमैंट के आधार पर फंसाया गया था, जिसकी स्वीकार्यता संदिग्ध थी। दूसरी ओर राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता एन.डी.पी.एस. अधिनियम के तहत 4 और मामलों में शामिल था।
प्रतिद्वंद्वी दलीलों और मामले के दस्तावेजों को देखने के बाद जस्टिस क्षेत्रपाल ने कहा कि ड्रग्स की बरामदगी से संबंधित मामले राष्ट्रीय महत्व के हैं और इन्हें सावधानी से तय किया जाना चाहिए। ड्रग्स की तस्करी एक खतरा है और इसे सख्त कदम उठाकर संबोधित करने की आवश्यकता है। इसलिए याचिकाकर्ता को हिरासत में महत्वपूर्ण विवरण प्रदान करने की आवश्यकता है जो ड्रग्स की आपूर्ति श्रृंखलाओं की खोज में उपयोगी हो सकते हैं।

ऐसे गंभीर सामाजिक परिणामों वाले मामलों में सख्त न्यायिक रुख की आवश्यकता
गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार करते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी और ऐसे गंभीर सामाजिक परिणामों वाले मामलों में सख्त न्यायिक रुख की आवश्यकता दोहराई। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी क्षेत्र में मादक पदार्थों के अवैध निर्माण और बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से न्यायिक हस्तक्षेपों की एक श्रृंखला के बीच आई है। अपने पहले के आदेशों में से एक में, अदालत ने बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की बरामदगी का संज्ञान लिया था और सी.बी.आई को नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और राज्य पुलिस बलों के अधिकारियों को शामिल करते हुए एक एस.आई.टी. गठित करने का निर्देश दिया था। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशकों (डी.जी.पी.) को भी केंद्रीय एजैंसियों को पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया गया था। 
बढ़ते खतरे पर चिंता जताते हुए हाईकोर्ट ने पहले ही कहा है कि मादक पदार्थों की तस्करी महज कानून प्रवर्तन का मामला नहीं है, बल्कि यह एक गहरा सामाजिक-आर्थिक संकट है, जो देश के युवाओं और अर्थव्यवस्था को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है।

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