एस्टेट ऑफिस में हुए 53 कर्मचारियों के तबादले

Edited By Priyanka rana,Updated: 03 Oct, 2019 09:00 AM

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एस्टेट आफिस में डी.सी. मनदीप सिंह बराड़ ने एक सीट पर बरसों से जमे मुलाजिमों को उनकी जगहों से उखाड़ दिया।

चंडीगढ़(साजन) : एस्टेट आफिस में डी.सी. मनदीप सिंह बराड़ ने एक सीट पर बरसों से जमे मुलाजिमों को उनकी जगहों से उखाड़ दिया। सूत्रों के अनुसार इन मुलाजिमों के खिलाफ लगातार लोगों को परेशान करने की शिकायतें मिल रही थी। असिस्टैंट एस्टेट अफसर मनीष लोहान के मुताबिक 53 से ज्यादा मुलाजिमों के तबादले हुए हैं। 

उनके अनुसार यह रूटीन ट्रांसफर है, जो मुलाजिम ज्यादा समय से एक सीट पर टिके थे उन्हें इधर से उधर किया गया है। तबादलों में कुछ ऐसे मुलाजिमों को जानबूझ कर या अनजाने में नवाज भी दिया गया है जिन पर पहले कुछ आरोपों को लेकर जांच चल रही थी। इन तबादलों में मजे की बात यह है कि सूची में पांच ऐसे सब इंस्पैक्टर हैं, जो कई वर्ष से इनफोर्समैंट विंग में तैनात थे। उनमें एक इंस्पैक्टर तो 15 साल से ज्यादा से इसी सीट पर काम कर रहा था। 

ऐसे कर्मचारियों को मलाई वाली सीट देकर नवाजा गया जिन्हें किसी न किसी कारण से विभागाध्यक्षों द्वारा सजा मिल चुकी है। मुख्य बात ये रही कि एस्टेट आफिस में तबादले काफी बरसों बाद हुए हैं। चूंकि ये मुलाजिम बरसों से अपनी सीटों पर काबिज थे लिहाजा ये गैंग बनाकर काम करते थे और कई पर लोगों से रिश्वतखोरी करने के आरोप भी थे। लोग लगातार इनकी शिकायतें कर रहे थे। विजिलैंस विभाग के आदेशों की एस्टेट ब्रांच में धज्जियां उड़ाई जा रही थी। 

सैंट्रल विजीलैंस के आदेशों को विभाग कर रहा था दरकिनार :
सैंट्रल विजीलैंस के आदेशों के मुताबिक एक सीट पर मुलाजिमों को ज्यादा देर नहीं रखना है क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश रहती है  लेकिन एस्टेट आफिस में इन आदेशों को दरकिनार कर दिया गया। फिलहाल कुछ मुलाजिम ये आरोप भी लगा रहे हैं कि अपने खास लोगों को मलाई वाली सीटों पर रखा गया है ताकि सुचारू ढंग से लेनदेन का कामकाज चल सके और कोई शिकायत करने वाला भी न रहे।

जिसके खिलाफ हुई जांच, उसे लगा दिया असिस्टैंट एस्टेट अफसर का पी.ए. :
बुधवार को हुए तबादलों में असिस्टैंट एस्टेट ऑफिसर के पी.ए. के पद पर ऐसे व्यक्ति को तैनात किया गया है, जिसके खिलाफ सैक्टर-35 के एक मकान के ट्रांसफर मामले में महत्वपूर्ण शर्त जिसमें कोर्ट के अंतिम फैसले के बिना संपति को दूसरे के नाम ट्रांसफर न किया जाए को मर्जी से हटा देने का आरोप है। इस मामले की लम्बी जांच हुई। ऐसे में इन तबादलों पर कई प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।

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