पति की जगह नौकरी के लिए महिला ने 12 साल खाए धक्के

Edited By pooja verma,Updated: 08 Oct, 2019 10:01 AM

woman get the job after 12 years on the place of her husband

खरड़ की एक महिला को मृतक पति की जगह नौकरी पाने के लिए 12 साल तक धक्के खाने पड़े।

मोहाली (राणा): खरड़ की एक महिला को मृतक पति की जगह नौकरी पाने के लिए 12 साल तक धक्के खाने पड़े। इसके बाद जब उसे चंडीगढ़ परिवहन विभाग में नौकरी तो मिली लेकिन अढाई सौ किलोमीटर दूर जालंधर भेज दिया गया। खरड़ निवासी पीड़िता परमजीत कौर ने विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने इसके लिए विभाग को पैसे नहीं दिए।

 

7 मई, 1998 में हुई थी पति की मौत
पीड़िता ने सोमवार को मोहाली में एक प्रैस काफ्रेंस के दौरान विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उसके पति सुरमुख सिंह चंडीगढ़ डिपो में बतौर ड्राइवर थे। 7 मई 1998 को सुरमुख सिंह की मौत हो गई थी। सुरमुख की मौत के बाद उसकी पत्नी को नौकरी मिलनी थी। हैरानी की बात है विभाग ने परमजीत का दो बार इंटरव्यू भी लिया परंतु वर्ष 2004 में चंडीगढ़ डिपो ने नौकरी देने का आर्डर जारी कर दिया। 

 

उन्होंने आरोप लगाया कहा कि डिपो की ही एक महिला कर्मचारी ने वह आर्डर उस तक पहुंचने ही नहीं दिया। साथ ही उस महिला ने एक जाली लैटर तैयार करवाया जिसमें उसने उसके जाली हस्ताक्षर कर उसे विभाग को भेज दिया।

 

नौकरी के लिए किया लंबा संघर्ष
परमजीत कौर ने कहा कि उसे 1998 से सिन्योरिटी मिलनी चाहिए क्योंकि उसने नौकरी के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया है। विभाग की गलती के कारण पहले ही उसके 12 साल खराब हो चुके हैं और अब किसी ओर को प्रमोशन देकर दोबारा से उसके साथ धक्का किया जा रहा है।

 

नौकरी के लिए धरने दे किया संघर्ष 
परमजीत ने बताया कि वह चार बेटियों की मां है, उसने 12 साल सड़कों पर धरने देकर नौकरी लेने के लिए संघर्ष किया। बेटियों के साथ सूट सिलकर घर का गुजारा किया। आर.टी.आई. से पता चला कि विभाग ने उसे नौकरी देने के लिए वर्ष 2004 में ही ऑर्डर जारी कर दिए थे परंतु क्लर्क की मिलीभगत के चलते उसे ऑर्डर नहीं मिला। 

 

लंबे संघर्ष के बाद 5 मार्च 2010 को 12 साल बाद परमजीत कौर को विभाग ने नौकरी तो दी लेकिन उसे अढाई सौ किलोमीटर दूर जालंधर डिपो नौकरी के लिए भेज दिया। परमजीत कौर रोजाना जालंधर से आने-जाने लगी क्योंकि उसकी चार बेटियां थी। हालांकि परमजीत की नियुक्ति चंडीगढ़ डिपो में हुई थी परंतु साजिश के चलते उसे जालंधर भेजा गया जबकि कानूनन किसी भी विधवा महिला को 30 किलोमीटर के बाहर नहीं भेजा जा सकता। 

 

2015 में परमजीत कौर दोबारा चंडीगढ़ डिपो में बुला लिया गया। परमजीत कौर का आरोप है कि अब विभाग ने उसके साथ फिर से धोखा किया है। उसका आरोप है कि सिन्योरिटी के हिसाब से विभाग को उसे (स्टोलर की नौकरी) प्रमोशन देनी बनती थी परंतु विभाग ने 2015 में भर्ती हुए आफिस के एक अन्य व्यक्ति को उसकी जगह प्रमोशन दे दी। 

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