मध्‍यप्रदेश: यहां स्थापित है विश्व का सबसे बड़े स्फटिक शिवलिंग

Edited By Jyoti,Updated: 03 Mar, 2020 12:30 PM

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लखनादौन: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में श्री गुरू रत्नेश्वर धाम दिघोरी यह द्विपीठाधीस्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का जन्म स्थली है।

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लखनादौन:
 मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में श्री गुरू रत्नेश्वर धाम दिघोरी यह द्विपीठाधीस्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का जन्म स्थली है। दिघोरी भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी मुख्यालय से 24 किलोमीटर ग्राम राहीवाडा से पश्चिम दिशा मे गुरुधाम दिघोरी 8 किलोमीटर पर स्थित है। दिघोरी में जाकर एशिया के सबसे बड़े स्फटिक शिवलिंग को लखनादौन से  पंजाब केसरी संवाददाता नंदकिशोर पवन डेहरिया ने पंजाब केसरी के कैमरे में कैद किया।
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बता दें कि 17 साल पहले वर्ष 2002 में गुस्र्धाम दिघोरी में एशिया के सबसे बड़े स्फटिक शिवलिंग की स्थापना धर्माचार्याें की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई थी। जिस स्थान पर स्फटिक शिवलिंग की स्थापना हुई है उसी स्थान पर द्विपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद महाराज का जन्म हुआ था।

स्फटिंग के अनूठे शिवलिंग की स्थापना की गई। इस दौरान देश की समस्त पीठों के शंकराचार्य के अलावा देश में प्रचलित सभी धर्मो के महान धर्माचार्य पधारे थे। स्फटिंक का शिवलिंग बर्फ की चट्टानों के बीच कई वर्षो तक पत्थर के दबे रहने से ऐसा शिविलिंग निर्मित होता है। यह शिवलिंग काश्मीर से यहां लाया गया था। इसके पूजन का भारतीय धर्म ग्रन्थों में बहुत महत्व बताया गया है। वही पर स्फटिंग के मणि शिवलिंग का वैदिक मंत्रोच्चार के बाद चारों पीठों एवं अन्य धर्माचार्य की उपस्थिति में स्थापित किया गया है। मार्ग पर ग्राम राहीवाडा बसा है। 
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इस ग्राम के पश्चिम दिशा में एक बहुत बडा गेट बनाया गया है। गेट पर भगवान श्री शिवजी का परिवार विराजित है। मुख्य मार्ग से 8 कि.मी. की दूरी पर पश्चिम में ग्राम दिघोरी में श्री गुरू रत्नेश्वर धाम का विशाल मंदिर दक्षिण शैली में बना है। मंदिर में सीढी चढने के बाद एक हाल में श्री नन्दी महाराज विराजित है। इसके बाद एक गर्भगृह में स्फटिक शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में दर्शन और पूजन से समस्त पापों का नाश होता है। यहां पर स्वंय के वाहन से पहुंचा जा सकता है। यहाँ प्रतिदिन धर्मावलम्बी आते रहते हैं। 

शिव की नगरी कहे जाने वाले सिवनी के दिघौरी में विश्व का सबसे अद्भुत, अद्वितीय शिवलिंग विराजित है। स्फटिक से निर्मित इस शिवलिंग जैसा विश्व में कहीं और शिवलिंग नहीं है। इसके दर्शन, पूजन और अवलोकन के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। हिंदुओं के प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि स्फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक से व्यक्ति की संपूर्ण इच्छाएं पूर्ण होती है। स्फटिक के शिवलिंग के दर्शन मात्र से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। शत्रु शरण में आ जाता है, सभी बधाएं दूर हो जातीं हैं। दुनिया के सबसे बड़े दिव्य स्फटिक शिवलिँग मंदिरों में से एक भारत के मध्यप्रदेश में स्थित है।
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