Edited By Lata,Updated: 15 Sep, 2019 04:26 PM
ये बात तो सब जानते ही हैं कि मृत्यु के बाद हर किसी को उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है।
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ये बात तो सब जानते ही हैं कि मृत्यु के बाद हर किसी को उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है। इस बात का प्रमाण पुराणों से लेकर कठोपनिषद् तक हर जगह पाया जाता है। बताया गया है कि धरीत पर प्राणी जो भी काम करते हैं, उन्हें उनका फल परलोक में मिलता है। यमराज लोगों को उनके कर्म के मुताबिक स्वर्ग और नर्क में भेजते हैं। शास्त्रों में हर एक नरक का उल्लेख बहुत ही विस्तार से पढ़ने को मिलता है। जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
महावीचि
यह नरक रक्त से भरा हुआ होता है, इसमें वज्र के समान कांटे पाए जाते है। इसमें गया हुआ जीव कांटों से बिंधकर कष्ट पाता है। कहते हैं गाय का वध करने वाला इंसान इस नर्क में एक लाख वर्ष तक रहकर कष्ट भोगता है।
कुंभीपाक
इस नरक में गर्म रेत और अंगारे बिछे हुए होते हैं। इस नर्क में दूसरों की जमीन और धरोहर हड़पने वाले के अलावे ब्राह्मणों की हत्या करने वालों को भेजा जाता है।
मंजूस
इस नरक में उन्हें दंड दिया जाता है जो लोग निर्दोष को बंदी बनाते हैं। यह नरक जलते हुए सलाखों का बना है जिसमें दोषी जीव को डालकर जलाया जाता है।
अप्रतिष्ठ
इसमें उन लोगों को डाला जाता है जो धार्मिक व्यक्तियों को कष्ट देते हैं। यह नरक मल, मूत्र से भरा हुआ है। इसमें पापी जीव को उलटा करके गिराया जाता है।
विलेपक
यहां वैसे ब्राह्मण जाते हैं जो मदिरापान करते हैं। यह लाह की आग से जलता रहता है। इस आग में जीव को झोंक दिया जाता है।
महाप्रभ
यह नरक बहुत ऊंचा है। इसमें बड़ा सा शूल गड़ा है। जो व्यक्ति पति-पत्नी में विभेद करवाकर उन्हें अलग करवाते हैं उन्हे इस नरक में डालकर शूल से छेदा जाता है।
जयंती
इसमें एक विशाल चट्टान है। यहां पराई स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले को इसी चट्टान के नीचे दबाया जाता है।
महारौरव
जो लोग खेत, खलिहान और गांव, घर में आग लगाते हैं उन्हें युगों तक इस नरक में पकाया जाता है।
तामिस्र
जो लोग अपने पूरे जीवन काल में चोरी करते रहते हैं, इस नरक में यमदूत भयानक अस्त्र-शस्त्र से उनकी पिटाई करते हैं।