Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Sep, 2020 07:55 AM
16 दिवसीय महालय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। इस समय सूर्य देव कन्या राशि में स्थित होते हैं। इस अवसर पर चंद्रमा भी पृथ्वी के काफी निकट होता है। चंद्रमा के थोड़ा ऊपर पितृलोक माना गया है। सूर्य रश्मियों
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Amavasya Shraddha 2020: 16 दिवसीय महालय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। इस समय सूर्य देव कन्या राशि में स्थित होते हैं। इस अवसर पर चंद्रमा भी पृथ्वी के काफी निकट होता है। चंद्रमा के थोड़ा ऊपर पितृलोक माना गया है। सूर्य रश्मियों पर सवार होकर पितृ पृथ्वी लोक में अपने पुत्र-पौत्रों के यहां आते हैं तथा अपना भाग लेकर शुक्ल प्रतिप्रदा को सूर्य रशिमों पर सवार होकर वापस अपने लोक लौट जाते हैं। अमावस्या श्राद्ध के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए ये काम अवश्य करने चाहिए-
शास्त्र कहते हैं, जब भी घर पर श्राद्ध करें विवाहित बहन और बेटी को सपरिवार निमंत्रण दें।
श्राद्ध कर्म पूर्ण तभी होता है जब गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए एक अंश भोजन अर्पित किया जाए।
गाय को चारा अवश्य खिलाएं, इससे ब्राह्मण भोज का फल प्राप्त होता है।
ब्राह्मण-ब्राह्मणी को सपिरवार भोजन पर आमंत्रित करें अन्यथा उनका भोजन दक्षिणा के साथ पैक करके उनके घर दे आएं।
श्राद्ध के दिन जो कोई भी आपके घर आए, उसे भोजन अवश्य करवाएं।
अमावस्या के दिन तेल मालिश, नाखून काटना, बाल कटवाने जैसे काम न करें।
पान भी नहीं खाएं।
गाय में सभी हिंदू देवी-देवता वास करते हैं, श्राद्ध में गौ माता के दूध से बने घी, दूध और दूध से बने पदार्थों का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद राक्षसी शक्तियां हावी हो जाती हैं, इस समय श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
मंदिर अथवा तीर्थ पर किए गए श्राद्ध से पितर अति प्रसन्न होते हैं।
ब्रह्मचार्य का पालन करें।