मां दुर्गा का सबसे पहला शक्तिपीठ है पाकिस्तान में...लेकिन पूजा होती है भारत के छिंदवाड़ा में

Edited By ,Updated: 08 Apr, 2016 12:46 PM

mata hinglaj

शुक्रवार को मां दुर्गा के शुभ नवरात्र शुरू हो गए। नवरात्रों में मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा होती है। भारत में स्थित मां के सभी शक्तिपीठों में इन दिनों काफी भीड़ होती है।

भोपाल: शुक्रवार को मां दुर्गा के शुभ नवरात्र शुरू हो गए। नवरात्रों में मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा होती है। भारत में स्थित मां के सभी शक्तिपीठों में इन दिनों काफी भीड़ होती है। क्या आपको मालूम है कि मां दुर्गा की 51 शक्तिपीठों में सबसे पहला शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है। वहां भी देवी मां की पूजा होती है। मां हिंगलाज पाकिस्तान में मस्तिष्क के रूप में विद्यमान है। पौराणिक कथानुसार जब भगवान शंकर माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव नृत्य करने लगे, तो ब्रह्माण्ड को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के मृत शरीर को 51 भागों में काट दिया।

कहा जाता है मां सती का मस्तिष्क दो जगहों पर गिरा था, एक बलूचिस्तान में और एक राजस्थान में। बलूचिस्तान अब पाकिस्तान में है और राजस्थान में विराजी मां हिंगलाज की प्रतिमा को कुछ भक्त सौ साल से भी पहले मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में ले आए थे। राजस्थान के काठियावाड़ इलाके में माता हिंगलाज की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। हिंगलाज माता काठियावाड़ के राजा की कुलदेवी थी।

कालांतर में राजा के वंशजों को जीविकोपार्जन के लिए मद्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में आना पड़ा। वे अपने साथ हिंगलाज माता की प्रतिमा भी ले अाए और छिंदवाड़ा में एक कोल माइन के पास इसे स्थापित कर दिया गया और माता की यही पर पूजा होने लग गई। 1907 के आसपास एक कोलमाइन के अंग्रेज मालिक ने अपने कर्मचारियों को मूर्ती हटाने के निर्देश दिए। मजदूरों ने मूर्ती हटाने की कोशिश भी की लेकिन वह टस से मस नहीं हुई। माता रानी ने स्वप्न में आकर उसे चेतावनी भी दी लेकिन वह पीछे नहीं हटा औऱ मजदूरों को किसी भी तरह से मूर्ति को हटाने के लिए कहा।

मजदूरों को आदंस देकर वह अपनी पत्नि के साथ खदान में अंदर घूमने चला गया। जैसे ही वह अंग्रेज खदान के अंदर गया, खदान का प्रवेश द्वार धंस गया अौर अंग्रेज खदान मालिक जिंदा जमीन में दफन हो गया। रात को वहां जोरदार धमाका हुआ। फिर एक दिन  लोगों को जंगलों में इमली के पेड़ के नीचे हिंगलाज माता की मूर्ती मिली और फिर यहां उनका मंदिर बनाया गया। आज यह मंदिर छिंदवाड़ा जिले के चांदामेटा के पास स्थित है। आपको बता दें कि  छिंदवाड़ा जिले और पाकिस्तान दोनों ही जगह की मूर्तियां एक जैसी हैं।

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