Pitru  Paksha: साल में केवल 15 नहीं बल्कि पितर तर्पण के लिए होते हैं पूरे 96 दिन

Edited By Jyoti,Updated: 11 Sep, 2020 02:13 PM

pitru paksha 2020 96 days of shradh

जब से पितृ पक्ष आरंभ हुआ है, तब से ही हर कोई अपने पितरों का श्राद्ध करने में व्यस्त है। इसका कारण है इससे जुड़ी प्रचलित मान्यताएं कि, यूं तो साल के हर माह में पड़ने वाली आमवस्या तिथि को अपने पितरों का श्राद्ध किया जाता है,

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जब से पितृ पक्ष आरंभ हुआ है, तब से ही हर कोई अपने पितरों का श्राद्ध करने में व्यस्त है। इसका कारण है इससे जुड़ी प्रचलित मान्यताएं कि, यूं तो साल के हर माह में पड़ने वाली आमवस्या तिथि को अपने पितरों का श्राद्ध किया जाता है, मगर भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक का समय इसके लिए सबसे श्रेष्ठ होता है। ऐसी धार्मिक किंवदंतियां है कि इस दौरान य म सभी पितरों को धरती पर भेज देते हैं ताकि वो अपने पूर्वजों द्वारा किए गए तर्पण को ग्रहण कर उन्हें आशीर्वाद दें सके।  
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मगर क्या आप जानते हैं सनातन धर्म की कुछ लोक प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इन 15 दिनों के अलावा भी ऐसे कई दिन होते हैं जिस दिन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। जी हां, प्रचलित मान्यताओं के अनुसार ऐसा किया जा सकता है। तो ऐसे में अगर आप पितृ पक्ष में किसी न किसी कारण वश श्राद्ध न कर पाएं तो आगे की जानकारी विशेषतौर पर आपके ही लिए है। 

दरअसल नारद पुराण तथा महाभारत के अनुसार इन तिथियों व दिनों की गिनती की जाए तो वर्ष भर में कुल 96 दिन ऐसे आते हैं जब हम पितृ पक्ष जैसे अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विधिवत तर्पण आदि जैसे कार्य कर सकते हैं। 
इसके अलावा सनातन धर्म के अन्य कई ग्रंथों में भी इससे जुड़ी बातो का वर्णन किया गया है, आइए वो जानते हैं वो भी- 

कूर्म पुराण- 
इसमे किए वर्ण के अनुसार श्राद्ध करने के लिए आवश्यक सामग्री होने पर तथा ब्राह्माण की उपस्थिति होने पर किसी भी दिन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। 

वराह पुराण- 
कूर्म पुराण की ही तरह वराह पुराण के मुताबिक भी श्राद्ध करने के लिए सामग्री और पवित्र जगह मिलनी चाहिए, इन दोनों के मिल जाने पर किसी का भी श्राद्ध किया जा सकता है। 
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महाभारत का अश्वमेधिक पर्व- 
महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि जिस समय ब्राह्मण, दही, घी, कुशा, फूल और अच्छी जगह मिल जाए, उस वक्त अपने पितरों का श्राद्ध कर देना चाहिए। इसके लिए किसी का इंतज़ार करने की आवश्यकता नहीं होती। श्राद्ध के लिए साल के कुल 96 दिन ऐसे बताए हैं जिसमें श्राद्ध किए जा सकते हैं। 

पुराणों और स्मृति ग्रंथों के मुताबिक ये वो दिन- 
इतना तो लगभग लोग जानते हैं साल मं कुल 12 अमावस्या तिथियां पड़ती हैं, ये तमाम तिथियोंपर पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। 

4 युगादी तिथियां- 
धार्मि मान्यताओं के अनुसार कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की 9वीं तिथि, वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि आदि भी श्राद्ध करने के लिए शुभ होती हैं। 
इसके बाद साल भर में पड़ने वाली कुल 12 संक्रांति, 12 वैधृति योग और 12 व्यतिपात योग भी शुभ होती हैं। 
बता दें मुख्य रूप से लगभग लोग प्रत्येक वर्ष में आने वाले पितृ पक्ष के 15 दिन या महालय में ही पितर तर्पण करते हैं। 
इसके अतिरिक्त 5 अष्टका, 5 अनवष्टिका और 5 पूर्वेद्दु, ऐसे तिथि व पर्व हैं जिन पर पितरों का श्राद्ध करना अच्छा माना जाता है। 

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