Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jun, 2018 12:05 PM
श्री रामचरित मानस लिखने के दौरान तुलसीदास जी के मन में चौपाई लिखने का विचार आया और उन्होंने लिखा- सिय राम मय सब जग जानी। करहु प्रणाम जोरी जुग पानी।।
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श्री रामचरित मानस लिखने के दौरान तुलसीदास जी के मन में चौपाई लिखने का विचार आया और उन्होंने लिखा- सिय राम मय सब जग जानी। करहु प्रणाम जोरी जुग पानी।।
पूरे संसार में अपने आराध्य के ही दर्शन करना, बिना अहंकार के संभव ही नहीं है। इस जगत में श्री राम का निवास है, सबमें भगवान हैं और हमें उनको प्रणाम कर लेना चाहिए अर्थात सब को राम का रुप जानकर हमें हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।
चौपाई लिखने के बाद तुलसीदास जी वहां से उठकर आराम करने के लिए अपने घर को चल दिए। रास्ते में एक बालक ने उनका रास्ता रोक कर कहा, "महात्मा जी, वहां से मत जाएं क्योकि एक बैल गुस्से में लोगों को मारता हुआ घूम रहा है और आपने तो लाल कपड़े पहन रखें है, आप इस रास्ते से मत जाएं।"
तुलसीदासजी मन में कहने लगे, कि कल का जन्मा बच्चा मुझे उपदेश दे रहा है, अभी मैंने लिखा कि सब में भगवान का वास है, तो मैं उस बैल को प्रभु का रुप जानकर प्रणाम करुंगा और आगे चला जाऊंगा। जैसे ही आगे जाने के लिए बडे़ तब बैल ने उन पर हमला कर दिया और वे नीचे गिर पड़े।
तब वे अपने घर को जाने की बजाय वापिस अपने उसी स्थान पर आ गए जहां वह चौपाईयां लिख रहे थे जैसे ही वे अपनी लिखी चौपाई फाड़ने लगे तभी वहां हनुमान जी प्रकट हुए और बोले, "श्रीमान जी ये आप क्या कर रहे हैं?"
तुलसीदासजी बहुत गुस्से में बोले, "प्रभु इस चौपाई में मैंने गलत लिख दिया और बाकी की सारी बात भी उन्होंने बताई।"
हनुमान जी हसंने लगे और बोले, "महाराज जी चौपाई तो एकदम सही लिखी किन्तु बैल को भगवान का रुप जान लिया और उस बालक में आपने राम को नहीं देखा। भगवान तो आपको बचाने के लिए उस बच्चे के रुप में ही आए थे।"
ऐसा सुनते ही तुलसीदास जी ने हनुमान जी को गले से लगा लिया।
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