फाल्गुन महीने की इस खास तिथि को हुआ था मां लक्ष्मी का जन्म, क्या आप जानते हैं?

Edited By Jyoti,Updated: 26 Feb, 2020 04:51 PM

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हिंदू धर्म में कुल 33 कोटि देवी-देवता बताए गए हैं। जिनके बारे में धार्मिक शास्त्रों व ग्रंथों में वर्णन मिलता है। अगर शास्त्रों की मानें तो त्रिदेव को हिंद धर्म के प्रमुख देव हैं, मगर इनके अलावा भी कई देवी-देवता हैं जिन्हें काफ़ी महत्व प्रदान है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में कुल 33 कोटि देवी-देवता बताए गए हैं। जिनके बारे में धार्मिक शास्त्रों व ग्रंथों में वर्णन मिलता है। अगर शास्त्रों की मानें तो त्रिदेव को हिंद धर्म के प्रमुख देव हैं, मगर इनके अलावा भी कई देवी-देवता हैं जिन्हें काफ़ी महत्व प्रदान है। इन्हीं में से एक हैं धन की देवी लक्ष्मी। कहा जाता है जीवन में आने वाला सारा धन इनकी कृपा से ही आता है। मगर क्या आप जानते हैं सबको धन प्रदान करने वाली मां लक्ष्मी का अवतरण कैसे हुआ था। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथों में इनका जन्म को लेकर वर्णित कथा के बारे में। साथ ही साथ जानेंगे कि इनका जन्म किस दिन व कैसे हुआ था।
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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा का दिन माता लक्ष्मी के जन्म का दिन माना जाता है। जिस कारण इस दिन को लक्ष्मी जयंती के रूप में जाना जाता है। ऐसी कथाएं प्रचलित हैं कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। बताया जाता है मुख्य रूप से लक्ष्मी जयंती दक्षिण भारत में मनाई जाती है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से इनकी यानि देवी लक्ष्मी की आराधना करता है उसको अपने जीवन काल में हर तरह का सुख प्राप्त होता है।

यहां जानें इनके अवतरण की संपूर्ण कथा-
धार्मिक शास्त्रों की कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में राक्षसों ने स्वर्ग लोक पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद सभी भगवान विष्णु के पास गए। तब श्री हरि भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को समुद्र मंथन करने के लिए कहा। परंतु इसके लिए उन्हें राक्षसों की आवश्यकता थी तब नाराद जी राक्षसों के पास गए और उन्हें अमृत का लालच देकर समुद्र मंथन के लिए मना लिया। जो एक कछुए की पीठ और वासुकी नाग के द्वारा किया जा रहा था।

उस समुद्र मंथन से एक-एक करके चौदह रत्न निकले। उन्हीं चौदह रत्नों में से एक थीं मां लक्ष्मी। जिनके एक हाथ में कलश था व दूसरे हाथ में वर मुद्रा था। समुद्र मंथन से उत्पन्न होने के बाद देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का पति रूप मे वरण कर लिया। जिस दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थी वह दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का माना जाता है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष इस दिन यानि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के जन्मदिवस यानि लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
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ऐसे करें इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा-
प्रात: जल्दी उठकर स्नान कर साफ़ वस्त्र धारण करें। अब एक चौकी लें उस पर गंगाजल डालकर उसे पवित्र कर लें। फिर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी व उनके अर्धांग भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करकें श्री हरि विष्णु जी को पीले वस्त्र और देवी लक्ष्मी को लाल वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद इनकी पसंद के मुताबिक इन्हें फूल चढ़ाएं। तथा माता लक्ष्मी को श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करें। आखिर में इनके समक्ष घी का दीपक जलाकर विधिवत इनकी पूजा करके माता लक्ष्मी के जन्म की कथा सुनें और व इनकी आरती का गुणगान करने के बाद इन्हें खीर और मिठाई का भोग लगाएं।

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