Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Apr, 2024 12:48 PM
शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी पर माता शीतला की पूजा की जाती है। इस बार यानि साल 2024 में 01 अप्रैल को शीतला सप्तमी और 02 अप्रैल को शीतला अष्टमी है। शीतला अष्टमी का पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
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Sheetala Ashtami basi Bhog: शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी पर माता शीतला की पूजा की जाती है। इस बार यानि साल 2024 में 01 अप्रैल को शीतला सप्तमी और 02 अप्रैल को शीतला अष्टमी है। शीतला अष्टमी का पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। शीतला अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। बसौड़ा शीतला माता को समर्पित लोकप्रिय त्योहार है। इस दिन शीतला माता को ठंडा यानी बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है। इसलिए शीतला अष्टमी को बसोड़ा और बसौड़ा अष्टमी जैसे नामों से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार, शीतला अष्टमी व्रत के दौरान घर में ताजा भोजन नहीं पकाया जाता है, बल्कि एक दिन पहले यानी शीतला सप्तमी के दिन बनाए गए भोजन को ही प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस परंपरा के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। आखिर क्यों शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और इसके पीछे की मान्यता क्या है, आइए जानते हैं-
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क्यों लगाते हैं बासी भोजन का भोग?
धार्मिक मान्यता है कि शीतला माता को बासी भोजन काफी प्रिय है। कहा जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन के घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। बल्कि चूल्हे की पूजा करने की मान्यता है। माता शीतला के भोग के लिए बासोड़ा से एक दिन पहले ही मीठे चावल, राबड़ी, पुए, हलवा, रोटी आदि पकवान तैयार कर लिए जाते हैं। फिर अगले दिन सुबह बासी भोजन ही देवी को चढ़ाया जाता है। फिर बासी भोजन को ही लोग भी प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
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वहीं वैज्ञानिक कारण की बात करें तो चैत्र माह ऋतुओं के संधिकाल पर आता है। यानी शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इन दो ऋतुओं के संधिकाल में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सुबह-शाम सर्दी और दिन में गर्मी की वजह से इस समय कई तरह की मौसमी बीमारियों का खतरा बना रहता है। इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है। साल में एक दिन सर्दी और गर्मी के संधिकाल में ठंडा भोजन करने से पेट और पाचन तंत्र को भी लाभ मिलता है। ऐसे में जो लोग शीतला अष्टमी पर ठंडा खाना खाते हैं, वो लोग ऋतुओं के संधिकाल में होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं।
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शीतला अष्टमी के दिन घरों में सूर्योदय से पूर्व प्रसाद बना कर रख लिया जाता है। फिर माता शीतला की पूजा के बाद दिन भर घर में चूल्हा नहीं जलाता। सूर्योदय से पूर्व बनाए गए प्रसाद को ही लोग भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं।
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