Edited By Sonia Goswami,Updated: 19 Jul, 2018 02:14 PM
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति योजना, मैट्रिक पश्चात छात्रवृत्ति योजना और मेधा- सह- साधन योजना को 5000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से 2020 तक जारी रखने को आज मंजूरी दी।
नई दिल्लीःकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति योजना, मैट्रिक पश्चात छात्रवृत्ति योजना और मेधा- सह- साधन योजना को 5000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से 2020 तक जारी रखने को आज मंजूरी दी।
इसके तहत लगभग 70 लाख छात्रवृत्तियां दी जाएंगी। एक आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पूर्व , मैट्रिक पश्चात तथा मेधा सह साधन आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं को 5338.32 करोड़ रुपए की लागत से 2019-20 की अवधि तक जारी रखने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। इससे प्रतिवर्ष 70 लाख विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
वक्तव्य में बताया गया कि ये योजनाएं राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के माध्यम से लागू की जाएंगी और छात्रवृतियों का वितरण प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीपी) के रूप में किया जाएगा। वक्तव्य में कहा गया है कि छात्रवृत्तियां उन विद्यार्थियों को दी जाएंगी जिन्हें पहले की अंतिम परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त नहीं हुए हैं।
इसका लाभ पाने के लिए विद्यार्थी सरकारी स्कूलों/ संस्थानों या मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों / संस्थानों में अध्ययनरत होना चाहिए। वक्तव्य में बताया गया है कि मैट्रिक पूर्व योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने (कक्षा 1 से 10) के लिए प्रेरित करना,स्कूली शिक्षा पर उनके वित्तीय बोझ को कम करना तथा उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा पूरी करने में उनके प्रयासों को समर्थन देना है।
वक्तव्य में कहा गया है कि माता-पिता /अभिभावक की वार्षिक आय 1 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस बीच,अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार शैक्षणिक सशक्तिकरण , कौशल विकास,आर्थिक सशक्तिकरण , पारंपरिक कौशल के संरक्षण और अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के विकास के जरिये अल्पसंख्यकों के विकास के लिए काम कर रही है। देश में मुस्लिम,ईसाई,सिख, बौद्ध,जैन और यहूदी छह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय हैं।