राष्ट्रीय दिवस में तीन रंगों का ये हैं राज

Edited By ,Updated: 26 Jan, 2017 04:08 PM

national day of the kingdom in three colors

गणतंत्र दिवस हर भारतीय के लिए बहुत मायने रखता है। यह दिन हम सभी के लिए बहुत महत्व का दिन है जिसे हम बेहद ही उत्साह के...

नई दिल्ली :  गणतंत्र दिवस हर भारतीय के लिए बहुत मायने रखता है। यह दिन हम सभी के लिए बहुत महत्व का दिन है जिसे हम बेहद ही उत्साह के साथ मनाते हैं। भारत एक महान देश है और सिर्फ भारत में ही विविधता में ही एकता देखने को मिलती है। जहां विभिन्न जाति और धर्म के लोग प्यार से रहते हैं। 26 जनवरी और 15 अगस्त दो ऐसे राष्ट्रीय दिवस हैं जिन्हें हर भारतीय खुशी और उत्साह के साथ मनाता है राजधानी दिल्ली सहित देशभर में 68वां गणतंत्र दिवस समारोह बडे धूमधाम से मनाया जा रहा है। अापको बता दें कि आज जो तिरंगा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है उसका सफर 1921 में आजादी से पहले शुरू हुआ था। उससे पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अलग-अलग मौकों पर भिन्न-भिन्न झंडों का प्रयोग करते थे।

कांग्रेस ने तिरंगे ध्वज को आधिकारिक तौर पर स्वीकार लिया
जानकारी के मुताबिक,1921 में आंध्र प्रदेश के रहने वाले पिंगली वेंकैया ने अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति के बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) सत्र में महात्मा गांधी के सामने भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर लाल और हरे रंग का झंडा प्रस्तुत किया था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गांधीवादी पिंगली वेंकैया ने लाल और हरे रंग को भारत के 2 बड़े समुदायों हिन्दू और मुसलमान के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया था। गांधी जी के सुझाव पर उन्होंने इस झंडे में अन्य समुदायों की प्रतीक सफेद रंग की पट्टी और लाला हरदयाल के सुझाव पर विकास के प्रतीक चरखे को जगह दी। कांग्रेस ने इस तिरंगे ध्वज को आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया। जल्द ही तिरंगा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में “स्वराज” ध्वज के रूप में लोकप्रिय हो गया। लाल रंग की जगह केसरिया को जगह देते हुए 1931 में कांग्रेस ने तिरंगे को अपना आधिकारिक ध्वज बना लिया। कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को ही भारत को पूर्ण स्वराज को घोषणा की थी।

दरअसल आजादी से पहले भारत को संविधान सभा ने जून 1947 में राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता वाली समिति को भारत के राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी दी। समिति के सुझाव के अनुसार चरखे की जगह अशोक स्तम्भ के धम्म चक्र को ध्वज पर जगह दी गयी। जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में 22 जुलाई 1947 को इसे भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार करने का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकृत कर लिया गया।

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