Edited By Sonia Goswami,Updated: 27 Aug, 2018 09:44 AM
अमरीका के राष्ट्रपति पद को संभालते ही खास कर विदेशी स्टूडैंट्स से जुड़े अपने कई फैसलों से दुनिया को हैरान करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब उक्त निर्णयों को लेकर बैकफुट पर आना शुरू हो गए हैं। इस शृंखला में यूनाइटेड स्टेट्स सिटीजनशिप एंड...
लुधियाना (विक्की): अमरीका के राष्ट्रपति पद को संभालते ही खास कर विदेशी स्टूडैंट्स से जुड़े अपने कई फैसलों से दुनिया को हैरान करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब उक्त निर्णयों को लेकर बैकफुट पर आना शुरू हो गए हैं। इस शृंखला में यूनाइटेड स्टेट्स सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यू.एस.सी.आई.एस.) ने अपने पुराने फैसले में बदलाव कर दुनिया भर के छात्रों को खुशखबरी दी है।
यू.एस.सी.आई.एस. ने बदले नियमों के बारे में जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अमरीका में पढऩे वाले विदेशी छात्र अब 12 महीने की ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेङ्क्षनग (ओ.पी.टी.) के तहत जॉब भी कर सकेंगे। अमरीका में पढऩे वाले दूसरे देशों के वे छात्र जो साइंस, टैक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमैटिक्स में डिग्री पूरी कर चुके हैं, वे 24 महीने यानी 2 साल तक ऑप्शनल प्रैक्टिकल
ट्रेनिंग के तहत काम कर सकेंगे। ओपन डोर्स
सर्वे (2017) के मुताबिक, अमरीका में लगभग 1.9 लाख भारतीय छात्र विभिन्न कालेजों और यूनिवॢसटीज में स्टडी कर रहे हैं।
12 वर्ष में 15 लाख विदेशी छात्रों ने अमरीका में की जॉब
रिपोर्ट के मुताबिक यू.एस.सी.आई.एस. ने एस.टी.ई.एम.-ओ.पी.टी. छात्रों की ऑफ साइट प्लेसमैंट से प्रतिबंध हटाकर अपने पिछले फैसले को पलट दिया है। यह भारतीय छात्रों के लिए बड़ी खुशी की बात है। शोध करने वाली संस्था प्यू की रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से 2016 के बीच अमरीका में ऑप्शनल ट्रेङ्क्षनग प्रोग्राम के तहत काम करने वाले विदेशी छात्रों में भारतीय ग्रैजुएट की संख्या सबसे ज्यादा रही है। इस समय में तकरीबन 15 लाख विदेशी छात्रों ने अमरीका में काम किया।
ओ.पी.टी. के तहत जॉब करने वालों में सर्वाधिक भारतीय स्टूडैंट्स
एक रिसर्च सैंटर ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर बताया कि इस सूची में चीन के छात्र दूसरे नंबर पर हैं। इसके बाद सूची में दक्षिण कोरियाई स्टूडैंट्स का नंबर आता है। प्यू रिसर्च सैंटर ने कहा कि ओ.पी.टी. के तहत अमरीका में काम करने के लिए अधिकृत भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी 4,41,400 यानी करीब 30 फीसदी रही।
रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से 2016 के बीच ओ.पी.टी. में हिस्सा लेने वाले तकरीबन 57 फीसदी छात्रों ने निजी कॉलेज या यूनिवॢसटी से ग्रैजुएशन की। चीन के छात्र इस सूची में 21 फीसदी आंकड़े के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि दक्षिण कोरियाई छात्रों का प्रतिशत 6 फीसदी रहा।
अमेरिकी प्रशासन की ओर से बदला गया यह फैसला पोस्ट ग्रैजुएशन करने वाले सभी विदेशी स्टूडैंट्स के लिए फायदेमंद होगा। इसके तहत अब स्टूडैंट्स ऑप्शनल जॉब ट्रेनिंग (ओ.जी.टी.) कर सकते हैं। 1 वर्ष तक किसी भी अमेरिकी कंपनी में ट्रेनिंग के दौरान अगर स्टूडैंट की परफोर्मैंस से कंपनी के अधिकारी संतुष्ट होते हैं तो स्टूडैंट को कंपनी में नियमित जॉब के लिए वर्क परमिट भी मिलने का रास्ता आसान हो जाता है। अमरीका में राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के आने से पहले भी ऐसी ही व्यवस्था थी, लेकिन ट्रंप ने सत्ता संभालते ही इसे बंद कर दिया था जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी नुक्सान होने लगा था। ऐसे में अमेरिकी सरकार ने अपना निर्णय बदल लिया है।
- नीतिन चावला, कैपरी एजुकेशन एंड इमीग्रेशन सर्विस