Edited By pooja,Updated: 05 Nov, 2018 12:22 PM
केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों के अलावा अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों के आरक्षण संबंधी प्रस्तावित अध्यादेश को जल्द लागू करने की मांग को लेकर
नई दिल्ली : केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों के अलावा अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों के आरक्षण संबंधी प्रस्तावित अध्यादेश को जल्द लागू करने की मांग को लेकर शिक्षक सभी का सहयोग जुटाने में लगे हुए है।
इसी कड़ी में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। एसोसिएशन का कहना है कि पिछले एक दशक से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्तियां ना होने से हर साल यह संख्या बढ़ती जा रही है जो हजारों में खाली पद पड़े हैं। एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन प्रो. हंसराज सुमन ने पीएम के नाम लिखे पत्र में कहा है कि बताया कि यूजीसी से अनुदान प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में कुछ ऐसे संस्थान है जिनमें आरक्षण नहीं दिया जाता।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा वर्ष 2005 से 2010 के बीच विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में शिक्षकों के आरक्षण संबंधी आदेशों और दिशा-निर्देशों में अनेक अनियमितताएं तथा खामियां नजर आती है। ज्ञात हो कि यूजीसी ने 5 मार्च 2018 को जारी सर्कुलर के अनुसार सभी केंद्रीय, राज्यों और मानद विश्वविद्यालयों ने यह निर्देश दिये थे कि विश्वविद्यालय/कॉलेज 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर के स्थान पर डिपार्टमेंट वाइज रोस्टर बनाकर नियुक्तियां करें जबकि यूजीसी के इस सर्कुलर के आने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान एससी, एसटी के उम्मीदवारों का हुआ है।