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केसरी चैप्टर 2 के स्क्रीनप्ले लिखने और सीन शूट करने में मेरी लीगल डिग्री ने मेरी काफी मदद की - करण सिंह त्यागी

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 26 Apr, 2025 12:12 PM

interview of karan singh tyagi for kesari chapter 2

डायरेक्टर करण सिंह त्यागी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की।

मुंबई। 18 अप्रैल को रिलीज़ हुई फिल्म 'केसरी चैप्टर 2' सिनेमा घरों में छाई हुई है। अक्षय कुमार, आर.माधवन और अनन्या पांडेय की इस फिल्म का डायरेक्शन पेशे से वकील रहे डायरेक्टर करण सिंह त्यागी ने किया है और बतौर निर्देशक ये फिल्म उनकी पहली फिल्म है जिसने उन्हें और भी अच्छी पहचान दिलाई। फिल्म 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड की अनकही कहानी को पर्दे पर लाती है।  फिल्म में वकील सी शंकरन नायर की ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कानूनी लड़ाई को बखूबी दिखाया गया है।  
इसी के चलते डायरेक्टर करण सिंह त्यागी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की।  पेश हैं मुख्य अंश:

1 - पहली ही फिल्म और वो भी इतनी हिट रही , कैसा लग रहा है ? 

इस वक्त आभार और ख़ुशी दोनों एकसाथ महसूस हो रहे हैं।  

2 - फिल्म की रिलीज़ से पहले क्या आप नर्वस थे क्या आपको पूरा विश्वास था कि फिल्म हिट होगी ?

मैं कॉंफिडेंट था स्टोरी को लेकर जो हम बताने जा रहे थे क्योंकि इस स्टोरी में बहुत गहरा इमोशन है लेकिन ईमानदारी से बताऊं तो नर्वसनेस तो 100% था।  मगर फिर भी हम एक चीज़ को लेकर बहुत कॉन्फिडेंट थे कि हमारी फिल्म बहुत अच्छी बनी है।  हम बहुत ही क्लियर थे इस बारे में कि हमें 2 चीज़ करनी थी पहली हम उन लोगों को सम्मान देना चाहते थे जो जलियांवाला बाग़ में शहीद हुए थे वो लोग बैसाखी मनाने के लिए वहां गए थे और हो क्या ही गया।  उनकी शहादत को हमें सम्मान देना था और दूसरा ये कि शंकर नायर की ये जो जंग थी हम उसका सच लोगों के सामने लाए।  और अब ख़ुशी इस बात की है कि हर कोई इस फिल्म को प्यार दे रहा है। 

3 - आम तौर पर फ़िल्में इंसिडेंट पर बनती है लेकिन आपने ये फिल्म केस पर बनाई तो आइडिया कैसे आया इस फिल्म को बनाने का ? 

मेरी एक दोस्त है जो एक किताब लेकर मेरे पास आई और उस किताब का नाम है 'द केस दैट शुक द एम्पायर' , और ये किताब लिखी थी शंकरन नायर के परपोते रघु पलट और रघु की पत्नी पुष्पा पलट ने।  फिर जब मैंने ये किताब पढ़ी तो मैं खुद हैरान रह गया।  दरअसल सबको जलियांवाला बाग कांड के बारे में पता है लेकिन उसकी साजिश और खुलासे के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं कि आखिर ऐसा किया ही क्यों गया था।  इसमें ऐसा-ऐसा कुछ बताया गया है जिसके बारे में शायद किसी को पता ही नहीं है और जब मैंने ये किताब पढ़ी तो मैंने उसी वक्त सोच लिया था कि ये कहानी तो जरूर बतानी है।  

4 - केसरी 2 को बनाने के लिए कितनी और कैसे रिसर्च की आपने ?

ये फिल्म लिखने में हमें 2 साल लगे और इसे शूट करने में लगभग ढाई से तीन साल लगे।  तो आप इसी में देख सकते हैं कि हमें कितना टाइम लगा इस फिल्म को बनाने में। क्यूंकि हमें हर चीज़ इसमें बिलकुल चाहिए थी और जब हम ये फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे थे तब हमने वो हर एक किताब पढ़ी जो जलियांवाला बाग हत्याकांड पर लिखी गई थी। और फिर जब हमने ये फिल्म बनानी शुरू की तब हमनें काम किया लोकेशन पर। पहले हम अमृतसर गए जलियावाला बाग़ देखा और अमृतसर की गलियों में जाकर हमें फिल्म का विसुअल पायलट समझ आया। फिर हमने कोलोनियल बिल्डिंगस को स्टडी किया, उस जमाने के फोटो और वीडियो देखे। उससे समझ आया कि लोग उस समय पर किस तरह के कपड़े पहनते थे।  मैंने बहुत सारे वकीलों से बात की और लॉ सिस्टम समझा।  तो ये पूरा सफर काफी लंबा रहा है। हमें हमेशा एक ही बात पर पूरा विश्वास था की हम सही करेंगे सही दिखाएंगे।  

5 - एक वकील फिल्म मेकर बना और पहली फिल्म की केसरी 2 बनाई तो इस फिल्म के लीगल नेरेटिव में आपके लीगल बैक ग्राउंड ने मदद की ?

जी हां हर चीज़ में ख़ास तौर पर स्क्रीनप्ले लिखने और वो सीन शूट करने में मेरी लीगल डिग्री ने मेरी काफी मदद की।  

6 - ऑडियंस एंटरटेनमेंट के लिए भी फ़िल्में देखने जाते है तो जब आप ऐसी फ़िल्में बनाते है तो फैक्ट और फिक्शन को कैसे मैनेज करते हैं ?

मेरे हिसाब से जब आप रियल लाइफ इन्सिडेंट्स और रियल लाइफ इवेंट्स पर फिल्म बनाते हो तो उस समय की फोटो नहीं पेंटिंग बनानी चाहिए क्यूंकि जब आप किसी  चीज़ की पेंटिंग बनाते हो तो किसी भी टाइम लाइन को कंप्रेस करने , ड्रामा क्रिएट करने और किरदारों को कंबाइन करने में भी थोड़ी आज़ादी मिल जाती है लेकिन इसके साथ ही इस चीज़ का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है कि कहानी की आत्मा उससे अलग नहीं होनी चाहिए।  और हमनें इन साड़ी चीज़ों का ख़ास ध्यान रखा।  

7 - इस फिल्म को बनाने का एक्सपीरियंस कैसा रहा वो भी तब जब ये आपकी पहली फिल्म है जो पहली लगती नहीं ?

मैं कहना चाहूंगा के मुझे एक बहुत ही अच्छी टीम मिली थी।  इस फिल्म के जो प्रोडूसर हैं उन्हें मेरा विज़न बहुत अच्छा लगा था और उन्होंने ही मुझे करण जोहर से मिलवाया था।  और इन दोनों ने मिलकर मेरा और मेरे विज़न का पूरा साथ दिया।  मेरी टीम भी बहुत सॉलिड थी। एक्टर्स की बात करूँ तो अक्षय सर बहुत डेडिकेटेड है हर चीज़ उन्होंने अच्छे से समझी , जो आप स्क्रीन पर देख रहे है वो सख्त मेहनत का नतीजा है इसमें वो चीज़ें भी शामिल है जो हम सेट पर आने से पहले करते थे।  आर.माधवन सर का तो मैं कई सालों पुराना फैन हूँ और मुझे लगता है कि वो बहुत ही इंटेलिजेंट एक्टर हैं और वही इस किरदार को इतने अच्छे से कर सकते थे।  अब बात अनन्या की करें तो उन्होंने भी बहुत मेहनत की है इस फिल्म में , उन्होंने 2 साल कई क्लासेज ली , एक वकील को फॉलो किया जिसमें उन्होंने सीखा कि एक वकील कोर्ट में कैसे बात करता है।  एक किताब की जलियावाला बाग़ पर लिखी कविताओं की अउ अनन्या ने वो सारी किताबें पढ़ी ताकि वो इस किरदार को अपने अंदर समा पाएं और वहां के लोगों का दर्द समझ पाए और ये सिर्फ हार्ड वर्क है। 

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