क्या याद है आपको मौत की जंग जीतने वाला 'प्रिंस'....

Edited By ,Updated: 28 Jan, 2015 04:56 PM

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आज का समय मीडिया का हो गया है। मीडिया में कोई खबर एक तेज आंधी की तरह आती है और हल्की बूंदाबांदी के जैसे थम जाती है।

शाहबाद मारकंडा (अरुण): आज का समय मीडिया का हो गया है। मीडिया में कोई खबर एक तेज आंधी की तरह आती है और हल्की बूंदाबांदी के जैसे थम जाती है। जी हां जो खबरें आज चर्चा में होती है वो कई-कई दिन तक तो समाचारपत्रों और टीवी न्यूज चैनलों पर छाई रहती हैं लेकिन समय के साथ-साथ वो धुधंली होती जाती हैं।

ऐसी ही एक कहानी है शाहाबाद के गांव हल्दाहेड़ी के प्रिंस की, जो पांच साल की उम्र में इतना चर्चित हो गया था कि हर कोई उसे मौत के मुंह से निकालने के लिए दुआ कर रहा था। अाज वहीं प्रिंस कहीं गुम-सा हो गया है। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के जरिये हाल ही में एक बार फिर उसका नाम मीडिया में गूंजा।

22 जनवरी को पीएम मोदी पानीपत में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का शुभारंभ करने पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने प्रिंस का जिक्र किया कि जब वो बोरवैल में गिर गया था तो पूरा देश उसकी सलामती की दुआएं कर रहा था। आर्मी से लेकर पुलिस तक ने प्रिंस को बचाने के लिए जद्दोजहद की थी।

प्रिंस को जहां इस बात की खुशी है कि देश के पीएम ने उसे अाज भी याद रखा वहीं उसे इस बात का मलाल भी है कि वह अपने ही क्षेत्र में अपरिचित है और उसे पूछने वाला कोई नहीं है। किसी समय देश भर में प्रिंस को अपने कार्यक्रमों में मुख्य रूप से शामिल करने वाले अधिकारी अब 15 अगस्त या 26 जनवरी के मौके पर उसे न्यौता नहीं देते जिस कारण प्रिंस दुखी है।

पानीपत में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रिंस का नाम अपनी जुबान पर लिया तो यह प्रिंस के साथ-साथ गांव हल्दाहेड़ी व शाहाबाद के लिए गौरव की बात थी लेकिन प्रिंस मोदी द्वारा मंच पर लिए गए अपने नाम को भी न सुन सका क्योंकि उस दिन प्रिंस के गांव में लाइट नहीं थी। पत्रकारों से बाचतीत में प्रिंस ने बड़े ही मायूस होकर कहा कि सभी ने झूठे वायदों के साथ उसका दु:ख बंटाया था।

प्रिंस ने कहा कि सम्मानित आर्मी ने उसकी जान तो बचा ली लेकिन आर्मी के अलावा जिस किसी ने भी उसके परिवार को मदद देने का वायदा किया था वह लगभग झूठे व बेबुनियाद थे। करीब 9 वर्ष पूर्व 21 जुलाई 2006 को लगभग सायं 7 बजे प्रिंस 60 फीट गहरे गड्ढे में जा गिरा था और लगभग 50 घंटे संकरे गड्ढे में रहने के बाद आर्मी ने प्रिंस को मशक्कत के बाद सही सलामत बाहर निकाला था लेकिन उस समय हुई घोषाणाएं थोथा चना साबित होने से आज ..प्रिंस का भविष्य बिल्कुल डूब चुका है। जिस कारण हल्दाहेड़ी का प्रिंस आज गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ रहा है तथा उसके पिता रामचन्द्र खेत में मजदूरी का कार्य करता है।

प्रिंस ने कहा कि  उस समय एक न्यूज चैनल ने प्रिंस की पढ़ाई खर्चा उठाने की घोषणा की थी लेकिन आज कोई खर्चा प्रिंस को नहीं मिल रहा जिस कारण प्रिंस स्कूल के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और स्कूल के बाद अपने पिता के साथ खेतों में भी हाथ बंटवा देता है।

चूही की जान बचाने के लिए के लिए कूदा था बोरी पर
प्रिंस ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि 9 वर्ष पूर्व जब उसके साथ यह हादसा हुआ तो उसे इतना याद है कि दुकान में एक बोरी में चूही घुंस गई थी। उसने सोचा कि यह चूही बोरी में न मर जाए इसलिए बोरी से चूही को बाहर निकालने का प्रयास कर रहा था लेकिन उसे क्या पता ऐसा करते करते वह 60 फीट गहरे गड्ढे में जा गिरेगा।

 हादसे के समय 7 लाख रुपए मिले थे प्रिंस के परिवार को
प्रिंस के पिता रामचन्द्र ने बताया कि जब प्रिंस के साथ हादसा हुआ था तो गड्ढे से सही सलामत बाहर निकलने पर लगभग एक करोड़ रुपए दिए जाने की घोषणाएं की गई थी लेकिन उसमें से मात्र 7 लाख रुपए ही उन्हें मिल पाए।

प्रिंस के पिता रामचंद्र ने बताया कि जिसमें से 5 लाख रुपए स्टार न्यूज की तरफ से तथा 2 लाख रुपए हरियाणा सरकार की ओर से उन्हें दिए गए। रामचंद्र ने बताया कि इसके अलावा कोई भी पैसा उन्हें नहीं मिला। उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में प्रिंस को सामाजिक संस्थाओं द्वारा कार्यक्रमों में बुलाया जाता था और 2100 की राशि दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
   
नहीं मिला पढ़ाई के नाम का कोई पैसा
रामचन्द्र ने कहा कि प्रिंस की पढ़ाई का खर्च एक अन्य न्यूज चैनल ने उठाया था। जिस पर उन्होंने अपने बेटे प्रिंस को शाहाबाद के डी.ए.वी. स्कूल में दाखिल किया था। कुछ समय तो उसकी पढ़ाई ठीक चलती रही लेकिन बाद में चैनल वालों ने खर्चा देना बंद कर दिया जिस कारण प्रिंस का अंग्रेजी माध्यम स्कूल छुट गया और उसे मजबूरन गांव के ही सरकारी स्कूल में डालना पड़ा।

कक्षा 7 में पढ़ता है प्रिंस

प्रिंस आजकल गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ता है। प्रिंस तीसरी कक्षा तक शाहाबाद के डी.ए.वी. स्कूल में पढ़ा लेकिन उसके बाद आर्थिक पिछड़ेपन के कारण उसे गांव के ही सरकारी स्कूल में डालना पड़ा। प्रिंस अब गांव के सरकारी स्कूल की कक्षा 7 का छात्र है। पिता रामचन्द्र ने कहा कि प्रिंस पढऩे में ठीक है लेकिन हेंड राइटिंग में नहीं ठीक नहीं है। जब प्रिंस से हेंड राईटिंग की बात करते हैं तो वह मायूस हो उठता है।
   
अलग नहीं है प्रिंस की दिनचर्या
प्रिंस की दिनचर्या कोई विशेष न होकर एक आम आदमी की तरह ही है। स्कूल से आने के बाद साइकिल चलाना, क्रिकेट खेलना तथा दोस्तों के साथ समय बिताना उसकी दिनचर्या में शामिल है

नौकरी न मिलने का मलाल है प्रिंस के परिवार को
गांव हल्दाहेड़ी में वर्ष 2006 में लगभउग 60 फीट गहरे गड्ढे में लगभग 50 घंटे संघर्ष के बाद मौत को मात देने वाले प्रिंस के परिवार को मलाल है कि प्रिंस के पिता रामचंद्र को सरकार की ओर से नौकरी नहीं दी गई। प्रिंस के पिता ने कहा कि उस समय उसको नौकरी देने की बात भी की गई थी लेकिन अभी उस बात को पूरा नहीं किया गया। जिस कारण प्रिंस व उसके पिता दोनों ही मजदूरी का कार्य कर रहे हैं।

   
प्रिंस का गांव बन गया आदर्श गांव
प्रिंस के वाक्या के बाद हरियाणा सरकार ने अपने वायदे के मुताबिक प्रिंस के गांव आदर्श गांव बना दिया है और प्रिंस के गांव में शहरों जैसी हर तरह की सुविधाएं हैं। हर घर में नलों से पेयजल सप्लाई हो रहा है और गांव की हर सड़क पक्की है।

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