वन क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में नहीं लग सकती वुड बेस्ड इंड्रस्टी

Edited By ,Updated: 19 Apr, 2017 11:46 AM

wood based industry

हरियाणा में वुड बेस्ड इंड्रस्ट्री के लिए नए लाइसेंस जारी करने की प्रकिया पहले से ही रुकी है। अब इसमें एक और नया पेंच फंस गया। मिनिस्ट्री ऑफ इंवायरमैंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमैंट चेंज के नियमों अनुसार वन क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में वुड बेस्ड...

चंडीगढ़(सनमीत) : हरियाणा में वुड बेस्ड इंड्रस्ट्री के लिए नए लाइसेंस जारी करने की प्रकिया पहले से ही रुकी है। अब इसमें एक और नया पेंच फंस गया। मिनिस्ट्री ऑफ इंवायरमैंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमैंट चेंज के नियमों अनुसार वन क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में वुड बेस्ड इंड्रस्ट्री नहीं स्थापित की जा सकती। ऐसे में वन विभाग हरियाणा ने मंत्रालय से इस नियम से छूट की मांग करते हुए पत्र भेजा है, हालांकि मंत्रालय से अभी इसका कोई जवाब नहीं आया। लेकिन इतना तय है कि जब तक वन विभाग को कोई जवाब नहीं मिलता, तब तक अधिकारी लाइसैंस प्रकिया को जानबूझकर आगे नहीं बढ़ाएंगे। दूसरी ओर स्टेट लैवल कमेटी ने अभी तक लाइसेंस के लिए आवेदनों की इंस्पैक्शन करवाने या नए सिरे से आवेदन मांगने पर कोई फैसला नहीं लिया। 

 

2016 में हुआ था एस.एल.सी. का गठन : 
सरकार ने अक्तूबर 2016 में तत्कालीन पी.सी.सी.एफ. की अध्यक्षता में एस.एल.सी. का गठन किया था। पी.सी.सी.एफ. कमेटी के अध्यक्ष, मैंबर सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ इंवायरमैंट फॉरेस्ट क्लाइमेट चेंज, राज्य उद्योग विभाग, एच.एफ.डी.सी. इस कमेटी के सदस्य होते हैं। बता दें कि हरियाणा में किसानों ने सफेदा और पापुलर के कम दामों के विरोध में प्रदर्शन करके नए वुड बेस्ड इंडस्ट्री के लाइसैंस जारी करने की मांग की थी। 

 

वन विभाग ने सर्वे करवाया और दस प्रतिशत लकड़ी की आवक पिछले साल की तुलना में अधिक पाई। तब सरकार ने करीब 500 लाइसैंस जारी करने का फैसला लिया। वर्तमान प्रदेश में 5089 वुड इंडस्ट्री हैं, लेकिन 13 फरवरी से 28 फरवरी के बीच आनलाइन आवेदन मांगे गए और करीब 2445 लोगों ने आवेदन किए। इसके बाद डी.एफ.ओ. ने जिला स्तर पर वैरीफिकेशन करनी थी, पर वन विभाग के बड़े अफसरों ने यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। 

 

तत्कालीन पी.सी.सी.एफ. अमरेंद्र कौर के तबादले के बाद वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने दोबारा से आवेदन मांगने और आवेदन की समय सीमा बढ़ाने के संकेत दिए थे, लेकिन यह पूरी प्रकिया ही ठप्प कर दी गई। यदि वन विभाग के अधिकारियों की वुड बेस्ड लाइसैंस इश्यू करने के मामले में ऐसे ही लेट होती है तो एक साल तक नई इंड्रस्ट्री स्थापित नहीं हो पाएगी। 
 

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