कहर बन कर टूटेगा साल 2019, भारत सहित इन देशों पर सबसे ज्यादा खतरा

Edited By Tanuja,Updated: 26 Dec, 2018 04:11 PM

astrologers predicts of natural disasters in 2019

नववर्ष के आगमन को लेकर कई तरह की भविष्यवाणियां सामने आ रही हैं जिनमें कई तरह की मुसीबतों के आने की आशंका जतताई जा रही है। ऐसे में लोग आने वाले साल 2019 की शुरुआत शुभ होने की कामना कर रहे हैं...

सिडनीः नववर्ष के आगमन को लेकर कई तरह की भविष्यवाणियां सामने आ रही हैं जिनमें कई तरह की मुसीबतों के आने की आशंका जतताई जा रही है। ऐसे में लोग आने वाले साल 2019 की शुरुआत शुभ होने की कामना कर रहे हैं। ज्योतिष के मुताबिक, 2019 का शुरुआती महीना मानवता के लिए शुभ साबित नहीं होगा। नए साल की शुरुआत त्रासदियां लेकर आ सकती है और 2018 के अंत में इंडोनेशिया में आई सुनामी पहले ही अशुभ संकेत दे चुकी है। ज्योतिष के मुताबिक नववर्ष 2019 का आरंभिक माह यानि जनवरी माह प्राकृतिक आपदाओं से भरा हो सकता है।
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वैश्विक स्तर पर उत्तरी गोलार्ध में बड़े भूकंप आने के संकेत है। ज्वालामुखी सक्रिय हो सकते हैं।समुद्र से उठने वाले चक्रवात भीषण हो सकते है। शीतलहर से मैदानी इलाके सिहर सकते हैं। कुल मिलाकर, नए साल का आगाज आकस्मिक आपदाओं की चुनौतियों से हो सकता है। ज्योतिष के मुताबिक, सौरमंडल के ग्रहों एवं अन्य परिवर्तनों का गहरा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है। सामान्य दिनों में भी पूर्णिमा और अमावस्या के दौरान समुद्र में ज्वार-भाटा निर्मित होते हैं। वर्तमान में राहु-केतु का संचार कर्क और मकर राशि में हो रहा है। विश्व में सर्वाधिक आबादी घनत्व कर्क रेखा क्षेत्र में ही है । इसमें एशिया के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भारत और चीन भी आते हैं।
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कर्क रेखा क्षेत्र में पाकिस्तान से लेकर अफ्रीका महाद्वीप के उत्तरी सीमांत देश, यूरोप के दक्षिणी सीमांत क्षेत्र और उत्तर-दक्षिण अमेरिका के संधि क्षेत्र आते हैं। इन भूभागों में इन प्राकृतिक घटनाओं की आशंका सर्वाधिक है। इन क्षेत्रों में बड़े भूकम्पीय आशंका वाले क्षेत्र भी आते हैं इनमें प्रमुखतः भारत सहित अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, म्यांमार, अफ्रीका-यूरोप के उत्तरी व दक्षिणी देश एवं अमरीकी महाद्वीपों के संधि क्षेत्र आते हैं।
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5-6 जनवरी का खंडग्रास सूर्य ग्रहण पड़ेगा भारी
5 और 6 जनवरी को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। हालांकि यह भारत में मान्य नहीं होगा। इसका दृश्यक्षेत्र पूर्वी एशिया के देश चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, उत्तरी कोरिया, उत्तर-पूर्वी रूस, मध्यवर्ती मंगोलिया, प्रशांत महासागर और अलास्का के पश्चिमी भाग रहेंगे। इसके प्रभाव से सघन सर्दी, चक्रवात, भूगर्भीय हलचल, ग्लेशियर्स पर असर और ज्वालामुखी सक्रिय होने की आशंका है. इस दौरान इन क्षेत्रों की यात्रा से बचने की कोशिश करें।
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भीषण प्राकृतिक आपदाएं लाएगा 21 जनवरी का खग्रास चंद्रग्रहण
21 जनवरी को कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र में खग्रास चंद्रग्रहण होगा. यह भी सूर्यग्रहण की भांति भारत में दृश्यमान नहीं होगा। यह सम्पूर्ण अफ्रीका, दक्षिणी-उत्तरी अमेरिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा। इसका गहरा प्रभाव दृश्यमान क्षेत्रों के अलावा सम्पूर्ण एशिया भूभाग सहित उत्तरी गोलार्ध के कर्क रेखा क्षेत्र में बड़े स्तर पर देखने को मिल सकता है।

 

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