Edited By Isha,Updated: 07 Jun, 2018 05:12 PM
ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि वह उत्तरी आयरलैंड के कठोर गर्भपात कानून के खिलाफ अपील पर कोई व्यवस्था नहीं दे सकता लेकिन वह उसे मानवाधिकार कानूनों से असंगत ठहरा सकता है।न्यायाधीशों ने बहुमत
लंदनः ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि वह उत्तरी आयरलैंड के कठोर गर्भपात कानून के खिलाफ अपील पर कोई व्यवस्था नहीं दे सकता लेकिन वह उसे मानवाधिकार कानूनों से असंगत ठहरा सकता है।न्यायाधीशों ने बहुमत से फैसला दिया। उत्तरी आयरलैंड ह्यूमन राइट्स कमीशन ने यह अपील की थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि कमीशन को इस तरह की कार्यवाही का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि उत्तरी आयरलैंड के गर्भपात कानून को दी गई चुनौती के संदर्भ में राहत देने के लिए सुनवाई उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। हालांकि अदालत ने कहा कि न्यायाधीशों का बहुमत इस पक्ष में है कि उत्तरी आयरलैंड का वर्तमान कानून यूरोपीय मानवाधिकार संधि के अनुरूप नहीं है।
गौरतलब है कि आयरलैंड में भारतीय दंतचिकित्सक सविता हलप्पनवार को 2012 में गर्भपात की इजाजत नहीं मिलने पर एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। उनकी मौत ने देश में गर्भपात पर चर्चा छेड़ दी। सविता के पिता आनंदप्पा यालगी ने कर्नाटक स्थित अपने घर से कहा कि उन्हें आशा है कि आयरलैंड के लोग उनकी बेटी को याद रखेंगे। हलप्पनवार के पिता अनदंप्पा यालगी ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि आयरलैंड के लोग जनमत संग्रह के दिन मेरी बेटी सविता को याद रखेंगे और जो उसके साथ घटित हुआ ऐसा किसी अन्य परिवार के साथ नहीं होना चाहिए।' उन्होंने कर्नाटक में अपने घर से फोन पर 'द गार्डियन' को बताया, 'मैं उसके बारे में हर दिन सोचता हूं। 8वें संशोधन के कारण उन्हें चिकित्सा उपचार नहीं मिला। उन्हें कानून बदलना होगा।'