Edited By Tanuja,Updated: 25 Feb, 2023 11:33 AM
यूक्रेन-रूस जंग का चीन कोई भी मौका हाथ से नहीं गंवाना चाहता। इस विवाद में चीन डबल गेम खेलता नजर आ रहा है। एक तरफ वो रूस की तरफदारी...
बीजिंगः यूक्रेन-रूस जंग का चीन कोई भी मौका हाथ से नहीं गंवाना चाहता। इस विवाद में चीन डबल गेम खेलता नजर आ रहा है। एक तरफ वो रूस की तरफदारी कर रहा है और दूसरी तरफ यूक्रेन के साथ हमदर्दी दिखाने का नाटक कर अच्छा बनने की कोशिश कर रहा है। चीन ने शुक्रवार को यूक्रेन में जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए संघर्ष विराम व शांति वार्ता करने का आह्वान किया और परमाणु एवं जैविक हथियारों के इस्तेमाल के प्रति कड़ा विरोध जताया। इसके अलावा चीन ने यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान करने और सुरक्षा को लेकर रूस की जायज चिंताओं को भी रेखांकित किया। उसने रूस और यूक्रेन के बीच ‘‘जल्द से जल्द’’ सीधी बातचीत का आह्वान किया।
यूक्रेन में ‘‘समग्र, न्यायसंगत एवं स्थायी शांति’’ की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान में चीन और भारत ने भाग नहीं लिया। चीन ने रूस के साथ निकट संबंध बनाए रखने के प्रयासों के बीच यूक्रेन युद्ध पर अपना रुख बताते हुए 12 बिंदुओं वाला एक प्रपत्र जारी किया। इस प्रपत्र के जारी होने से पहले 22 फरवरी को चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यि ने रूस की यात्रा की थी और इस दौरान उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। चीन ने यूक्रेन पर हमले को लेकर अभी तक रूस की निंदा नहीं की है और उसके मॉस्को के साथ निकट राजनीतिक, व्यापारिक एवं सैन्य संबंध हैं।
चीन ने यूक्रेन को लेकर अपना रुख बताने वाले प्रपत्र में ‘‘संघर्ष विराम’’, युद्ध समाप्त करने के लिए रूस एवं यूक्रेन के बीच सीधी वार्ता के लिए वैश्विक समर्थन, यूक्रेन की संप्रभुता के सम्मान, सुरक्षा को लेकर रूस की जायज चिंताओं और परमाणु एवं जैविक हथियारों के इस्तेमाल या खतरे को लेकर चीन के विरोध को रेखांकित किया।चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा यहां जारी एक प्रपत्र में कहा गया है, ‘‘शत्रुता पर विराम लगना चाहिए। संघर्ष और युद्ध से किसी को लाभ नहीं होता। सभी पक्षों को तर्कसंगत रहना चाहिए और संयम बरतना चाहिए, आग को भड़काने और तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए तथा संकट को और बढ़ने या नियंत्रण से बाहर होने से रोकना चाहिए।’’
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस से यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने और अपनी सेना को वापस बुलाने की मांग करने वाला गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव बृहस्पतिवार को पारित कर दिया और भारत एवं चीन उन 32 देशों में शामिल रहे, जिन्होंने 193 सदस्यीय महासभा में प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया। प्रस्ताव के पक्ष में 141 और विरोध में सात मत पड़े।