Edited By Tanuja,Updated: 01 Jan, 2019 03:19 PM
जीन्स में बदलाव कर दुनिया के पहले जेनेटिक बच्चों को पैदा करने वाले चीनी वैज्ञानिक ही जियानकुई को आज उसके शहर शेनज़ेन से गिरफ्तार कर लिया गया...
बीजिंगः जीन्स में बदलाव कर दुनिया के पहले जेनेटिक बच्चों को पैदा करने वाले चीनी वैज्ञानिक ही जियानकुई को आज उसके शहर शेनज़ेन से गिरफ्तार कर लिया गया। द न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हे जियानकुई ने नवंबर 2018 में यूट्यूब पर नवजात जुड़वा बहनों का वीडियो डालकर दावा किया था कि इनके जीन्स में बदलाव किए गए हैं, जिससे इनका HIV से बचाव हो सकेगा। इस वीडियो के रिलीज होने के बाद से वैज्ञानिकों में बहस छिड़ गई थी और विरोध के बाद की गई जांच में ये दावे गलत साबित होने पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
बता दें कि शेनझान के अनुसंधानकर्ता जियानकुई ने तब दावा कर दुनिया को चौंका दिया था कि उन्होंने 7 दंपतियों के बांझपन के उपचार के दौरान भ्रूणों को बदला जिसमें अभी तक एक मामले में संतान के जन्म लेने में यह परिणाम सामने आया। जियानकुई ने कहा था कि इन जुड़वा बहनों का DNA CRISPR तकनीक से बदला गया और इसका मकसद किसी वंशानुगत बीमारी का इलाज या उसकी रोकथाम करना नहीं बल्कि एड्स वायरस (HIV) से भविष्य में संक्रमण रोकने की क्षमता इजाद करना है, जो लोगों के पास प्राकृतिक रूप से हो।
जियानकई ने तब इस प्रयोग में शामिल माता-पिताओं की पहचान जाहिर करने या साक्षात्कार को लेकर मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि था वह यह भी नहीं बताएंगे कि वे कहां रहते हैं और उन्होंने यह प्रयोग कहां किया। जियानकुई का दावा किया था कि 'लुलू' और 'नाना' नाम की इन बहनों को IVF तकनीक से पैदा किया गया और गर्भ में प्रवेश होने से पहले ही अंडाणु में बदलाव कर दिए गए थे।
विवादास्पद है DNA में बदलाव
दरअसल डीएनएन में बदलाव करने का मुद्दा बेहद विवादास्पद है और सिर्फ अमेरिका के लेबोरेटरी में इसे मंजूरी मिली है। पिछले साल अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा था कि उन्होंने सूअर के बच्चों के जेनेटिक कोड में सफलतापूर्ण बदलाव किए, जिससे वे वायरल संक्रमण से बच सकें।हालांकि यह पहली बार नहीं है कि चीनी शोधकर्ताओं ने इंसानी भ्रूण के साथ प्रयोग किया हो।पिछले साल सितंबर में सुन यात-सेन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग के एक वर्जन का इस्तेमाल किया था, जिससे इंसान के भ्रूण में परिवर्तन कराने वाली बीमारी को ठीक किया जा सके