Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Jun, 2020 03:14 PM
दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है लेकिन सबसे ज्यादा तबाही अमेरिका में मचा रखी है। अमेरिका में डेट रेट भी ज्यादा है। वहीं अमेरिका से हैरान कर देने वाली खबर है। यहां एक 62 साल के बुजुर्ग कोरोना की चपेट में आ गए थे। इलाज के लिए करीब दो महीने तक वह...
इंटरनेशनल डेस्कः दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है लेकिन सबसे ज्यादा तबाही अमेरिका में मचा रखी है। अमेरिका में डेट रेट भी ज्यादा है। वहीं अमेरिका से हैरान कर देने वाली खबर है। यहां एक 62 साल के बुजुर्ग कोरोना की चपेट में आ गए थे। इलाज के लिए करीब दो महीने तक वह अस्पताल में रहें और डॉक्टरों ने उनको बचा लिया। इस सबके बीच जो हैरत में डालने बात है वो यह कि जब उनको डिस्चार्ज किया गया तो उनका बिल आया 11 लाख डॉलर्स ( भारतीय करंसी के हिसाब से 8 करोड़ रुपए के आसपास)। यह मामला है अमेरिका के सिएटल शहर का। माइकल फ्लोर नाम के इस बुजुर्ग शख्स को 4 मार्च को अस्पताल भर्ती कराया गया था। कोरोना से उनकी हालत सीरियस होती जा रही थी लेकिन डॉक्टरों ने उनको बचा लिया। हाल ही में जब उनको डिस्चार्ज किया गया तो 181 पन्नों का बिल थमा दिया गया। उन्हें 42 दिन तक आइसोलेशन सेंटर में रखा गया और 29 दिनों तक वेंटिलेटर पर।
एक दिन का चार्ज 7 लाख रुपए
माइकल ने वहां की मीडिया से बात करते हुए बताया कि हर दिन आईसीयू का चार्ज 7.39 लाख रुपए था। 42 दिन उनको स्टेराइल रूम में रखने के लिए 4 लाख 9 हजार डॉलर (3 करोड़ 10 लाख रुपए) चार्ज किए गए। 29 दिन तक वेंटिलेटर पर रखने के लिए 82 हजार डॉलर (62 लाख 28 हजार), और जब दो दिन उनकी जान को खतरा था तब खास ट्रीटमेंट के लिए 1 लाख डॉलर (करीब 76 लाख रुपए) चार्ज किए गए।
सरकार देगी सारा पैसा
माइकल फ्लोर के अस्पताल का जितना भी बिल आया है वो सारा पैसा सरकार देगी क्योंकि यह उनके इंश्योरेंस कवर में आते हैं। माइकल ने कहा कि भले ही मुजे अपनी जेब से पैसे नहीं देने हैं लेकिन इतना ज्यादा बिल आने पर मैं दुखी हूं। यहां बता दें कि हाल ही में अमेरिकी सरकार ने कोरोना दौर में अस्पतालों को 10 करोड़ डॉलर्स की मदद मुहैया कराने का ऐलान किया है और इसको लेकर बजट भी पास किया गया है।