फ्रांस के इस मुर्गे ने कोर्ट में लड़ी अपने स्वाभिमान की लड़ाई, हुई जीत

Edited By prachi upadhyay,Updated: 06 Sep, 2019 12:39 PM

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इंसाफ हर किसी का अधिकार है फिर चाहे वो इंसान हो या मुर्गा। जी हां सही सुना आपने ''मुर्गा''। दरअसल, फ्रांस की एक कोर्ट ने मुर्गे के बांग देने के मामले में चली सुनवाई में अपना फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने कहा कि, ‘मौरिस नाम के इस मुर्गे को अपने...

पेरिस- इंसाफ हर किसी का अधिकार है फिर चाहे वो इंसान हो या मुर्गा। जी हां सही सुना आपने मुर्गा। दरअसल, फ्रांस की एक कोर्ट ने मुर्गे के बांग देने के मामले में चली सुनवाई में अपना फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने कहा कि, ‘मौरिस नाम के इस मुर्गे को अपने सुर में गाने का पूरा अधिकार है।’ ये दिलचस्प मामला पश्चिमी फ्रांस के सैंड-पियरे डी-ऑलेरॉन गांव का है। जहां 2017 में मौरिस नाम के इस मुर्गे की बांग पर आसपास के लोगों को दिक्कत होने लगी थी।

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दरअसल, कोरिन फेसिउ नाम की एक महिला ने मौरिस नाम का एक मुर्गा पाला हुआ है। ये मुर्गा रोज सुबह बांग दिया करता था। पहले तो गांव में इसके बांग पर किसी कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन धीरे-धीरे लोगों को इसकी आवाज से दिक्कत होने लगी। जिसके बाद अप्रैल 2017 में कोरिन के पड़ोसियों ने उससे शिकायत की, कि उसका मुर्गा बहुत तेज आवाज में बांग देता है जिससे सुबह-सुबह शोर मचता है। लोगों ने कोरिन से कहा कि वो मौरिस को चुप कराएं। उसकी तेज आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है।

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पड़ोसियों की इस शिकायत पर कोरिन ने कहा कि वो 35 साल से इस गांव में रह रही हैं। लेकिन आजतक किसी को मौरिस के सुबह-सुबह बांग देने से कोई दिक्कत नहीं हुई। जब दोनों में कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ तो मामला कोर्ट में पहुंचा।

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कोर्ट में कोरिन के पड़ोसियों ने बताया कि मौरिस की बांग से उनकी नींद में खलल पड़ता है और ध्वनि प्रदूषण भी होता है। वहीं कोरिन ने अपने जबाव देते हुए कहा कि वो काफी सालों से यहां रह रही है लेकिन पहले किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होने बताया कि पड़ोसियों की शिकायत पर उन्होने मुर्गे के दड़बे को शीट से ढककर मामला काबू करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं। वहीं इस दिलचस्प मुकदमे को लेकर फ्रांस शहरी और ग्रामीण समुदाय के दो हिस्सों में बांट गया। पहला समुदाय बांग देने के खिलाफ था तो वहीं दूसरा उसके पक्ष में था।

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वैसे मजेदार बात तो ये भी है कि फ्रांस का राष्ट्रीय पक्षी भी मुर्गा ही है। तो खैर मामला जब कोर्ट पहुंचा तो वहां दोनों पक्ष की दलीलें सुनी गई। और पांच सिंतबर को मामले में फैसला दिए जाने की बात कही गई। इस दौरान मौरिस के पक्ष में एक ऑनलाइन अभियान भी चलाया गया जिसका नाम था ‘सेव मौरिस’। इस अभियान के समर्थन में करीब डेढ़ लाख लोग आए। मुकदमें में मौरिस का साथ देने के लिए अमेरिका तक से पत्र आए। इस दौरान ये चार साल का मुर्गे फ्रांस में एक सेलिब्रिटी बन गया।

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5 सितंबर के कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाया। जज ने मौरिस के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि, मौरिस नाम के इस मुर्गे को बांग देने से नहीं रोका जा सकता। मुर्गा तो आखिर मुर्गा है और उसे बांग देने का अधिकार है। जिसके बाद अदालत के फैसले के बाद इस पर खुशी जताते हुए मौरिस की मालकिन कोरिन ने कहा कि, ‘मुझे उम्मीद है कि इससे एक परंपरा स्थापित होगी।’ वहीं इस पूरी कार्यवाही के दौरान कोरिन को हुई तकलीफों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने मुर्गे की मालकिन को एक हजार यूरो का हर्जाना देने का भी आदेश दिया।

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