संयुक्त राष्ट्र में भारत से खौफजदा नजर आए इमरान, कश्मीर का अलापा राग

Edited By Yaspal,Updated: 27 Sep, 2019 11:44 PM

imran kashmir s alapa raga seen from india at un

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में शुक्रवार को कश्मीर मुद्दे की राग छेड़ते हुए मांग की कि भारत को कश्मीर में ‘अमानवीय कर्फ्यू' हटाना चाहिए एवं सभी बंदियों को रिहा करना चाहिए। संयुक्त...

संयुक्त राष्ट्रः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में शुक्रवार को कश्मीर मुद्दे की राग छेड़ते हुए मांग की कि भारत को कश्मीर में ‘अमानवीय कर्फ्यू' हटाना चाहिए एवं सभी बंदियों को रिहा करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें सत्र में करीब 50 मिनट के भाषण में उन्होंने आधा समय कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की। खान ने चेतावनी दी कि यदि परमाणु शक्ति संपन्न दोनों पड़ोसियों के बीच टकराव हुआ तो उसके नतीजे उनकी सीमाओं से परे जाएंगे। खान संरा महासभा में अपना भाषण निर्धारित समय से करीब 15 मिनट अधिक समय तक दिया। खान का युद्ध राग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उसी मंच से कुछ समय पहले दिये गये शांति संदेश के ठीक उलट था।
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मोदी ने कहा था कि भारत एक देश है जिसने विश्व को ‘‘युद्ध नहीं बुद्ध'' दिए। पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का उस समय से अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास कर रहा है जब भारत ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था। हालांकि इससे संबंधित अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करने को भारत ने अपना ‘‘आंतरिक मामला'' बताया है। भारत के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान ने कठोर प्रतिक्रिया दिखाते हुए भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कमतर कर दिया और भारतीय उच्चायुक्त को अपने देश से निष्कासित कर दिया। खान ने संरा में अपने संबोधन में भारत के अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय का उल्लेख किया और संचार माध्यमों पर पाबंदी लगाने के लिए भारत सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करके संरा सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव, शिमला समझौते और स्वयं अपने संविधान का उल्लंघन किया है।
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘विश्व समुदाय क्या कर सकता है..क्या वह 1.2 अरब की आबादी का तुष्टिकरण करेगा अथवा वह न्याय एवं मानवता के लिए खड़ा होगा। '' उन्होंने कहा, ‘‘यह कदम उठाने का समय है। पहला कदम होना चाहिए कि भारत को कश्मीर में अमानवीय कर्फ्यू हटाना चाहिए। उसे सभी राजनीतिक बंदियों को मुक्त करना चाहिए।'' उन्होंने यह भी कहा कि विश्व समुदाय को कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार प्रदान करना चाहिए। भारत द्वारा कर्फ्यू हटाये जाने के बाद कश्मीर में स्थिति बिगड़ने का दावा करते हुए खान ने कहा, ‘‘आप सर्वोत्तम की उम्मीद करिए किंतु सबसे बुरे के लिए तैयार रहिए।'' उन्होंने कहा कि जब कर्फ्यू हटेगा तो कश्मीर में प्रतिक्रिया होगी और भारत पाकिस्तान पर दोषारोपण करेगा। उन्होंने पुलवामा आतंकवादी हमले और उसके बाद उत्पन्न हुई स्थिति का परोक्ष संकेत देते हुए कहा, ‘‘दो परमाणु संपन्न देशों के बीच आमने सामने की तनातनी होगी, जैसा कि हमने फरवरी में देखा।''
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खान ने कहा, ‘‘यदि दोनों देशों के बीच पारंपरिक युद्ध हुआ तो कुछ भी हो सकता है। एक देश, जो अपने पड़ोसी से सात गुना छोटा है, उसके समक्ष यह परिस्थिति है..या तो आप आत्मसमर्पण कर दे अथवा आप अपनी स्वतंत्रता के लिए मृत्युपर्यन्त लड़ता रहे।'' उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में उनका देश लड़ेगा। ‘‘और जब एक परमाणु हथियार क्षमता संपन्न देश अंत तक लड़ता है तो इसके नतीजें सीमाओं से परे चले जाते हैं..इसके विश्व के लिए नतीजें होंगे...मैं आपको आगाह कर रहा हूं, यह कोई खतरा नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम इस दिशा में आगे बढ़ें, इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की एक जिम्मेदारी है। इसी कारण से संयुक्त 1945 में अस्तित्व में आया था। उम्मीद की जाती है कि आपको इसे होने से रोकना है।''
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खान ने कहा कि वह जब पिछले साल सत्ता में आये तो उन्होंने तय किया कि वह पड़ोसियों के साथ मतभेद दूर करेंगे और क्षेत्र में शांति लायेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम जब सत्ता में आये तो हमने निर्णय किया कि हम (आतंकी समूहों को)ध्वस्त करेंगे...मैं जानता हूं कि भारत यह आरोप लगाता रहा है कि ऐसे समूह वहां हैं। मैं संरा पर्यवेक्षकों का स्वागत करता हूं कि वे स्वयं आकर देखें।'' उन्होंने इस वैश्विक संगठन से उन कदमों पर विचार करने के लिए कहा जो पाकिस्तान में आतंकी समूहों के खिलाफ उठाये गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में मेरे मित्र हैं और मैं भारत जाना पसंद करता हूं। लिहाजा जब मेरी पार्टी सत्ता में आयी तो हमने भारत से संपर्क साधा और (कहा कि) हमें व्यापार के जरिये मतभेद दूर करने चाहिए।'' उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश इस दिशा में प्रगति नहीं हुई। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री इस संगठन के आजीवन सदस्य हैं।

 

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