इसराईल में मतदान शुरू, नेतन्याहू का राजनीतिक भविष्य दांव पर

Edited By Tanuja,Updated: 23 Mar, 2021 04:11 PM

israelis vote in country s 4th election within a 2 year

दो साल में चौथे संसदीय चुनाव के लिए इजराइल में मंगलवार को मतदान शुरू हो गया। इसे मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कथित विभाजनकारी शासन को लेकर जनमत संग्रह माना जा रहा है...

 यरुशलम:  दो साल में चौथे संसदीय चुनाव के लिए इजराइल में मंगलवार को मतदान शुरू हो गया। इसे मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कथित विभाजनकारी शासन को लेकर जनमत संग्रह माना जा रहा है। चुनावी सर्वेक्षण के मुताबिक इजराइल के इस चुनाव में कड़ा मुकाबला है। इस चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया गया और महामारी के बीच आखिरी दौर में टेलीविजन साक्षात्कार एवं शॉपिंग मॉल में, बाजार में नेताओं ने उपस्थित होकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की।

 

अंतिम समय में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए नेताओं ने एसएमएस और फोन कॉल का सहारा लिया। इस चुनाव में नेतन्याहू ने खुद को ऐसे वैश्विक नेता के रूप में पेश किया जो देश की सुरक्षा एवं राजनयिक चुनौतियों से निपट सकता है। वह इजराइल में कोविड-19 टीके की सफलता और अरब देशों के साथ राजनयिक संबंध सुधारने के दम पर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं। वहीं नेतन्याहू के विरोधी उन पर गत एक साल में कोरोना वायरस के दौरान कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि नेतन्याहू अपनी घोर रूढ़िवादी राजनीतिक रैलियों पर रोक लगने में नाकाम रहे जिससे वायरस का प्रसार हुआ। वे देश की खराब अर्थव्यवस्था, और बेरोजगारी को भी मुद्दा बना रहे हैं।

 

विरोधियों का कहना है कि नेतन्याहू ऐसे समय पर शासन करने के योग्य नहीं हैं जब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे हैं। हालांकि नेतन्याहू ने इन आरोपों से इनकार किया है। जानकारों के मुताबिक, इस बार करीब 15 प्रतिशत मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर मतदान करेंगे। सरकार ने सुरक्षित मतदान कराने के लिए विशेष मतदान केंद्र बनाए हैं और वाहनों की तैनाती की गई है। यरुशलम में अलग से मतगणना होगी जिससे अंतिम नतीजे आने में देरी होगी। कड़े मुकाबले और बड़ी संख्या में अनिर्णय की स्थिति में रहने वाले मतदाताओं की वजह से छोटी पार्टियां 3.25 प्रतिशत न्यूनतम मत हासिल कर संसद में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए संघर्ष कर रही हैं। इसकी वजह से अंतिम नतीजों के लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है।

 

उल्लेखनीय है कि इसराईली नागरिक पार्टी के लिए मतदान करते हैं, उम्मीदवार के लिए नहीं और गत 72 साल के इतिहास में कोई भी पार्टी अपने दम पर सरकार बनाने में सफल नहीं हुई है। संसदीय चुनाव में नेतन्याहू के अतिरिक्त, याईर लपिड, गिडियन सार और नफ्ताली बेनेट सत्ता के प्रमुख दावेदार हैं। नेतन्याहू, सबसे लंबे समय तक (पांच बार) देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार, उनकी पार्टी ‘लिकुड' और उसके सहयोगी दलों को बहुमत से कम पर संतोष करना पड़ सकता है।

 

विपक्षी दल के नेता याईर लपिड ने रक्षा मंत्री बेनी गांट्ज के सहयोग से पिछले साल चुनाव लड़ा था लेकिन नेतन्याहू और गांट्ज के बीच सत्ता की साझेदारी को लेकर हुए समझौते के बाद वह पीछे हट गए थे। इस बार उन्होंने नेतन्याहू को हराने का दावा करते हुए प्रचार किया है। पूर्व शिक्षा मंत्री गिडियन सार को कभी नेतन्याहू का उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन उन्होंने सत्ताधारी दल से अलग होकर लिकुड पार्टी के पूर्व नेताओं के साथ मिलकर नया दल ‘ए न्यू होप' बनाया है।  

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