जापान ने बिना लॉकडाउन व टेस्टिंग आसानी से जीत ली कोरोना से जंग !

Edited By Tanuja,Updated: 25 May, 2020 12:49 PM

japan won fight against corona virus without lockdown

पूरी दुनिया जहां कोरोना वायरस के कहर से त्रस्त है वहीं जापान ने बिना लॉकडाऊन बड़ी आसानी से इस महामारी के खिलाफ यह जंग जीत लगभग जीत ली है..

इंटरनेशनल डेस्कः पूरी दुनिया जहां कोरोना वायरस के कहर से त्रस्त है वहीं जापान ने बिना लॉकडाऊन बड़ी आसानी से इस महामारी के खिलाफ यह जंग जीत लगभग जीत ली है। हैरानी की बात यह कि इस महासंकट के दौर में भी लॉकडाउन व आवाजाही पर खास पाबंदी नहीं लगाई गई ।  यहां तक कि रेस्त्रां और सैलून भी खुले रहे और बड़ी संख्या में टेस्ट भी नहीं किए गए लेकिन फिर भी यह देश संक्रमण को रोकने में कामयाब रहा जबकि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका व यूरोप के कई विकासशील देशों में कोरोनों से हजारों लाशें बिछ गईं।

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जहां विकसित मुल्कों में कोरोना की वजह से हजारों लोगों की मौत हो गई वहीं, जापान में सिर्फ 808 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जापान बड़े देशों में ऐसा पहला मुल्क होगा जिसके पास इस तरह की बीमारियों से निपटने के लिए सीडीसी जैसा कोई रोग नियंत्रण केंद्र नहीं है इसके बावजूद वह सफल रहा।होक्काइडो के स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में संक्रमण नियंत्रण विभाग में प्रोफेसर योको त्सुकामोटो के अनुसार देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था इस केंद्र से कमजोर कतई नहीं। प्रोफेसर काजुटो सुजुकी का कहना  कि यह सिंगापुर की तरह एप-आधारित प्रणाली नहीं है बल्कि लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों की सक्रियता का परिणाम है कि वे कोरोना के खिलाफ जंग जीत सके। अमेरिका, यूरोप और अन्य देश अब नर्सों के लिए प्रशिक्षण की शुरुआत कर रहे हैं जबकि हमारे यहां दो साल पहले ही इसकी तैयारी कर ली गई थी।

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जापान ने इन कमियों के बावजूद जीती जंग
1. जापान के पास इस तरह की बीमारियों से निपटने के लिए अमेरिका के सीडीसी जैसा कोई रोग नियंत्रण केंद्र नहीं है।
2. अन्य देश मरीजों की तलाश के लिए जहां हाइटेक एप का इस्तेमाल कर रहे हैं वहीं, जापान ने ऐसा कोई एप नहीं बनाया
3. विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग होनी चाहिए पर जापान ने कुल आबादी के सिर्फ 0.2% लोगों का टेस्ट किया
4. दुनिया के सात सबसे विकसित मुल्कों में शामिल जापान में संक्रमण की रफ्तार सबसे नीचे रही और मौतें भी 1000 से भी काफी कम हुईं।

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जानें कैसे हुआ संभव?

  • मास्क पहनना जापानी लोगों की जीवनशैली का अहम हिस्सा रहा है, यह परंपरा काफी कारगर रही। वहां मोटापे से ग्रस्त लोगों की तादात भी कम है। उनकी बात करने की शैली ऐसी है जिसमें मुंह से बूंदों का फैलना कम हो जाता है। इतना ही नहीं संक्रमण के मामले सामने आते ही सबसे पहले स्कूल बंद कर दिए गए थे।
  • जापान में 50 हजार से ज्यादा प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी हैं, जिन्हें 2018 में इन्फ्लूएंजा और तपेदिक के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया था। जनवरी में पहला मामला आते ही इन्हें सक्रिय किया गया, इन्होंने कांटेक्ट ट्रेसिंग में अहम भूमिका निभाई। इन्होंने तथाकथित समूहों, क्लबों या अस्पतालों में विशेष नजर रखी।
  • फरवरी में जब डायमंड क्रूज शिप पर संक्रमण का मामला सामने आया तो जापान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलनी पड़ी। इसके बाद पूरी व्यवस्था बदल गई। अप्रैल में मामले फिर बढ़े तो आपातकाल लागू कर दिया, अब नए मामले एक दिन में 50 से नीचे आ गए हैं और आपातकाल हटाने की तैयारी है।
  •  क्रूज शिप पर संक्रमण फैलने को जापान ने दरवाजे पर जलती कार की तरह देखा और तुरंत उपाय शुरू कर दिए। शीर्ष वैज्ञानिक, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉक्टर लोगों की जांच में जुट गए। आलोचना के बाद भी सरकार अड़ी रही।
  •  सरकार के सलाहकार और महामारी मामलों में विशेषज्ञ शिगू ओमी कहते हैं कि जापानी लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता सबसे अहम कड़ी रही।कमजोर स्ट्रेन कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि वायरस का जो स्ट्रेन दुनिया के अन्य मुल्कों में है उससे कमजोर स्ट्रेन जापान में पहुंचे वायरस में देखा गया, यह भी एक बड़ी वजह है।
     

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