दुनिया के इस अनोखे गांव में रहते हैं सिर्फ 27 बूढ़े, पुतले बढ़ा रहे आबादी (Photos)

Edited By Tanuja,Updated: 04 May, 2019 12:23 PM

lonely japanese village has only 27 humans but 270 dolls

दुनिया के कई देश जहां तेजी से बढ़ रही आबादी को लेकर चिंतित हैं वहीं दुनिया का एक अनोखा गांव पुतलों से अपनी आबादी बढ़ा रहा है...

इंटरनेशनल डैस्कः दुनिया के कई देश जहां तेजी से बढ़ रही आबादी को लेकर चिंतित हैं वहीं दुनिया का एक अनोखा गांव पुतलों से अपनी आबादी बढ़ा रहा है।  इस अनोखे गांव में  महज 27 लोग ही रहते हैं । यहां ज्यादातर इलाके खाली ही पड़े रहते हैं और लोगों ने अकेलापन दूर करने के लिए इसकी आबादी बढ़ाने का अनोखा तरीका अपनाया है। दरअसल बात हो रही है जापान की, जहां बीते कुछ सालों में जनसंख्या में काफी गिरावट आई है।
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शहरों से लेकर गांवों में, हर जगह आबादी कम होती जा रही है। जापान का एक गांव है जहां सिर्फ कुल 27 लोग ही रहते हैं। यह अजीबोगरीब गांव पश्चिमी जापान के शिकोकू टापू पर बसा है जिसका नाम नागोरो गांव है जहां एक भी बच्चा नहीं है इसलिए यहां के लोगों ने क्लासरूप में भी बच्चों के पुतले बनाकर रखे हुए हैं। नागोरो गांव में रहने वाली 69 साल की सुकिमी आयनो नाम की महिला ने इंसान जितने बड़े पुतले बनाने की शुरूआत की। इनका कहना है कि इस गांव में सिर्फ 27 लोग रहते हैं, लेकिन यहां पुतलों की संख्या 270 है।
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लगभग 16 साल पहले नागोरो गांव में पुतले बनाने की शुरुआत हुई थी। सुकिमी ने पहला पुतला बनाया और उसे अपने पिता के कपड़े पहना दिए। इन पुतलों को बनाने का मकसद था बगीचे के पौधों को बचाना। सुकिमी ने पुतला बनाकर बगीचे में रख दिया ताकि कोई पक्षी फसलों को खराब ना करें। उन्होंने इन पुतलों को तैयार करने के बारे में बताते हुए कहा कि वो लकड़ी की डंडियों के इन्हें बनाती हैं और अखबार के कागज से शरीर को भरती हैं। इलास्टिक और फैब्रिक से स्किन बनाती हैं और ऊन से बाल बनाती हैं।
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इन पुतलों को इंसानों की तरह दिखाने के लिए वो गालों और होंठों को गुलाबी रंग से रंग देती हैं। ये पुतले हर गली के कोने और घरों के बाहर रखे जाते हैं। सुकिमी ने आगे बताया कि इस गांव में कोई बच्चा नही है। यहां सबसे छोटे आदमी की उम्र 55 साल है। इस गांव के लोग शहरों में पलायन कर गए। इस वजह से सिर्फ ये पुतले ही अकेलापन दूर करती हैं।
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सुकिमी ने कहा कि इन पुतलों (डॉल्स) की वजह से नागोरो गांव में टूरिस्ट्स आने लगे हैं। आशा करती हूं कि जल्द ही ये गांव फिर से असली इंसानों से भर जाएगा। इन पुतलों की वजह से ही अब ये नागोरो गांव भरा-भरा सा लगता है और लोगों को यहां अकेलापन महसूस नहीं होता है। यहां पुतलों को देखने के लिए आने वाले टूरिस्ट्सों की वजह से फिलहाल थोड़ी चहल-पहल बनी रहती है।

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