Edited By Ashish panwar,Updated: 25 Jan, 2020 06:40 PM
नेपाल के लिए ग्लोबल वार्मिग का खतरा अन्य देशों के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है। हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र में बर्फ पिघलने और सिकुड़ते ग्लेशियर के चलते ग्लोबल वार्मिग का सबसे ज्यादा खामियाजा नेपाल को भुगतना पड़ रहा है। विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली...
इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल के लिए ग्लोबल वार्मिग का खतरा अन्य देशों के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है। हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र में बर्फ पिघलने और सिकुड़ते ग्लेशियर के चलते ग्लोबल वार्मिग का सबसे ज्यादा खामियाजा नेपाल को भुगतना पड़ रहा है। विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि यह वह क्षेत्र है, जो 24 करोड़ लोगों की पानी की जरूरतें पूरी करने के साथ ही उन्हें रहने लायक मौसम प्रदान करता है। भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बात करते हुए नेपाली विदेश मंत्री का कहना था कि अप्रैल में नेपाल सरकार द्वारा आयोजित 'सागरमाथा संवाद' के पहले संस्करण में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी प्रमुखता से बात होगी।
उन्होंने बताया कि नेपाल में ग्लोबल वार्मिग से जुड़ीं प्राकृतिक आपदा की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। पिछले साल मार्च में आया तूफान इसकी पुष्टि करता है, जिसमें 31 लोगों की मौत हो गई थी। ग्यावली के अनुसार, नेपाल के जल विज्ञान विभाग द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि तूफान की घटना ग्लोबल वार्मिग से जुड़ी थी। उन्होंने बताया कि मौसम में इस तरह का परिवर्तन ऐसे लोगों और समाज को नुकसान पहुंचाता है, जिनका इसे खराब करने में कतई कोई योगदान नहीं होता है। नेपाल भी इनसे से एक है। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में नेपाल का हिस्सा मात्र 0.027 फीसद है, लेकिन इसके बावजूद वह जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों से बुरी तरह प्रभावित है।
यह हाल तब है, जब उसका 45 फीसद भूभाग वनों से आच्छादित है। पिछले 45 वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि नेपाल का औसत अधिकतम तापमान 0.056 फीसद सालाना की दर से बढ़ रहा था। यह बढ़ोतरी औसत वैश्विक अधिकतम तापमान की वृद्धि से अधिक है। ग्यावली ने यह भी कहा कि अगर इसी तरह तापमान में वृद्धि जारी रही तो ¨हदुकुश हिमालय क्षेत्र के दो-तिहाई ग्लेशियर सदी के अंत तक पिघल जाएंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में जलस्तर गिराते हुए एक तस्वीर दिखाते हुए नेपाली विदेश मंत्री ग्यावली ने कहा कि नेपाल के पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए अब और अधिक दूरी तय करनी पड़ रही है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के चलते कुंए और झरने सूख रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत से लगते नेपाल के दक्षिणी तराई क्षेत्र में भी भूजल खतरनाक स्तर तक गिर गया है।