देउबा की संविधान पर टिप्पणी को लेकर हो रही है आलोचनाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Aug, 2017 04:48 PM

nepal pm deuba faces flak over his remarks on constitution

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की मधेसियों के मुद्दे को सुलझाने के लिए संविधान में संशोधन करने को लेकर भारत को आश्वस्त करने को लेकर देश में राजनीतिक दलों ने आज आलोचना...

काठमांडो: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की मधेसियों के मुद्दे को सुलझाने के लिए संविधान में संशोधन करने को लेकर भारत को आश्वस्त करने को लेकर देश में राजनीतिक दलों ने आज आलोचना की।   


भारत की यात्रा कर रहे देउबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह विश्वास जताया कि ऐसा संविधान एक हकीकत होगा जिसमें सभी वर्गों और जातियों के लोगों के विचार ‘‘शामिल’’होंगे।चिकित्सा जांच के लिए थाइलैंड जाने से पहले त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे (टीआईए)पर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्य विपक्षी नेता और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी ओली ने विदेश में इस मुद्दे को उठाने के लिए देउबा की आलोचना की। ओली ने कहा,‘‘प्रधानमंत्री देउबा ने विदेशी धरती से बिना संदर्भ के संवैधानिक स्वीकार्यता के मुद्दे को उठाया जो अत्यधिक आपत्तिजनक है।’’पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इससे हमारा राष्ट्रीय गौरव और संप्रभुत्ता दांव पर लग गई।’’


ओली ने कहा,‘‘देउबा ने इसी संविधान के तहत प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करते हुए पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है और वह इसी संविधान के अंतर्गत प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए, वह कैसे विदेश में संविधान के खिलाफ बोल सकते हैं।’’उन्होंने कहा कि देउबा को ऐसा मुद्दा उठाने का कोई अधिकार नहीं है जिस पर नेपाली संसद ने फैसला किया है।  मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के उपाध्यक्ष भीम रावल ने देउबा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,‘‘यह आपत्तिजनक मामला है। यह पूरी तरह से हमारी चिंता है कि हमने किस तरह का संविधान स्वीकार किया है। देउबा गठबंधन सरकार में अपना कार्यकाल लंबा चलाने के लिए भारत के आगे आत्मसमर्पण कर रहे हैं।’’   

सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के सांसद धन राज गुरुंग ने कहा कि संविधान में संशोधन के बारे में देउबा की टिप्पणी गैर जरुरी थी क्योंकि यह नेपाल का आंतरिक मामला है।  उन्होंने कहा,‘‘संविधान संशोधन मुद्दे के बारे में बोलना अनावश्यक है क्योंकि यह द्विपक्षीय मामला नहीं है जिस पर पड़ोसी देशों के साथ सहमत होने की जरुरत है।’’ 

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